बिहार असेंबली के लिए 2020 में हुए चुनाव के दौरान नीतीश कुमार ने वायदा किया था कि सूबे के लोगों को लिए वो 19 लाख नौकरियों का सृजन करेंगे। उस वायदे का क्या हुआ इसका तो पता नहीं लेकिन हाल ही में नीतीश कुमार ने जो सियासी दांव फेंका है उसने बीजेपी को असहज जरूर कर दिया है। ताजा घटनाक्रम में नीतीश ने बिहार में शिक्षकों की भर्ती के लिए डोमीसाइल नियम को खत्म कर दिया है। यानि अब पूरे देश के होनकार युवा बिहार में शिक्षक बनने के लिए जोर मार सकेंगे। डोमीसाइल नियम के तहत केवल बिहार के लोग ही इन नौकरियों में आवेदन कर सकते थे।
हालांकि नीतीश के इस कदम को बिहार की शिक्षा व्यवस्था सुधारने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन परदे के पीछे ये भी माना जा रहा है कि विपक्षी एकता के लिए जो कवायद बिहार के सीएम चला रहे हैं, उसमें ये एक कामयाब कदम है। इसके जरिये वो अपनी राष्ट्रीय स्तर के नेता वाली अपनी इमेज को दो कदम आगे ही बढ़ा रहे हैं। उनके इस फैसले से सारे देश के युवाओं को लाभ होगा। यानि नीतीश का ये फैसला सारे देश के युवाओं तक जाएगा। कुल मिलाकर नीतीश जिस दिशा में पिछले कुछ अरसे से आगे बढ़ रहे हैं उस तरफ ये एक जोरदार कदम है।
2019 में नीतीश ने विपक्षी दलों की पेशकश को ठुकराया था
ध्यान रहे कि 2019 के दौरान भी विपक्षी दलों ने नीतीश को बीजेपी के मुकाबले के लिए एक चेहरे के तौर पर पसंद किया था। उनकी सुशासन बाबू वाली इमेज नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के अभियान में डेंट भी डाल सकती थी। अलबत्ता उस दौरान नीतीश ने मौके की नजाकत को देखते हुए बीजेपी के साथ रहने में ही भलाई समझी। 2019 चुनाव से पहले उन्होंने विपक्षी दलों की तरफ से आई पेशकश को हवा में उड़ा दिया।
2020 चुनाव के बाद बीजेपी के साथ रिश्तों में आई खटास
2020 का चुनाव वो बीजेपी के साथ मिलकर ही लड़े। लेकिन जिस तरह से बीजेपी ने चिराग पासवान को आगे करके नीतीश को घेरने की रणनीति बनाई उससे वो क्षुब्ध दिखे। हालांकि वायदे के तहत बीजेपी ने ज्यादा सीट जीतने के बाद भी नीतीश को ही मुख्यमंत्री बनवा दिया। लेकिन चिराग के कंधे पर बंदूक रखकर बीजेपी ने जो गोली चलाई उससे नीतीश आहत थे। मौका देखते ही उन्होंने पलटवार किया और राजद का साथ लेकर बीजेपी को ठेंगा दिखा दिया।
रातो रात हुए बदलाव से बीजेपी भी भौचक रह गई। तब माना गया कि नीतीश का टारगेट सीएम की कुर्सी भर है। लेकिन बात यहीं तलग खत्म नहीं हुई। नीतीश ने सीएम की कुर्सी पर फिर से बैठने के बाद दिल्ली पर निशाना साध दिया। वो पटना से बाहर निकले और तमाम दिग्गज नेताओं से मीटिंग करके जता दिया कि वो 2024 के आम चुनाव में बीजेपी को कड़े मुकाबले में फंसाने के पूरे मूड़ में हैं। पटना में विपक्षी दलों के तमाम दिग्गज नेताओं को एक जगह इकट्ठा करके वो बखूबी संदेश दे चुके हैं कि उनके पास विपक्ष को एकजुट करने की ताकत है। माना जा रहा है कि बिहार के शिक्षकों की भर्ती में डोमीसाइल नियम को हटाकर उन्होंने संदेश दे दिया है कि वे पेन इंडिया के ताकतवर नेता हैं।