पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से तल्खी की खबरों के बीच बिहार सीएम नीतीश कुमार ने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ एक मुलाकात की। फिलहाल PK से बिहार सीएम की डिनर पर हुई गुफ्तगू राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि किशोर की जदयू में वापसी हो सकती है। ममता से नाता टूटने के कगार पर है। लिहाजा उनके पास भी ज्यादा विकल्प नहीं हैं।
हालांकि, प्रशांत किशोर के साथ बैठक के बीच चल रही अटकलों को नीतीश कुमार ने खारिज कर दिया है। सीएम से मीटिंग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि क्या प्रशांत किशोर के साथ मेरे संबंध आज से हैं? इस मीटिंग के पीछे कोई विशेष कारण नहीं है। उधर, NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक प्रशांत किशोर ने कहा कि जब नीतीश कुमार को कोरोना हुआ था तब उन्होंने हाल चाल जानने के लिए उनसे बातचीत की थी। बातचीत में नीतीश ने उनसे मिलने की इच्छा जताई। इसका कोई राजनीतिक मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए।
खास बात है कि यह बैठक तब हो रही है जब ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और प्रशांत किशोर के बीच मतभेदों की बात सामने आई है। प्रशांत किशोर इस समय राजनीतिक तौर पर खाली हैं। कांग्रेस में में शामिल होने का उनका प्रयास सिरे नहीं चढ़ सका। उसके बाद से वो गांधी परिवार की लगातार आलोचना करते दिखे हैं।
प्रशांत किशोर को 2020 में नीतीश कुमार ने जेडीयू से निष्कासित कर दिया था। CAA पर अपने रुख को लेकर नीतीश ने चुनावी रणनीतिकार को जेडीयू से बर्खास्त कर दिया था। नागरिकता संशोधन कानून आने के बाद से ही देश में भारी विरोध शुरू हुआ था। आलोचकों द्वारा इस कानून को मुसलमानों के साथ भेदभावपूर्ण करार दिया गया है। उस समय PK जदयू के उपाध्यक्ष थे। पार्टी में उनका सिक्का चलता था।
ध्यान रहे कि जब प्रशांत किशोर को जेडीयू से निकाला गया था उस समय उन्होंने कहा था कि नीतीश हमेशा उन्हें अपने बेटे की तरह मानते थे। वो उनके लिए पिता जैसे थे। उन्होंने जो भी फैसला लिया वो उनसे सहमत हैं।