तमाम सियासी अटकलों के बीच शुक्रवार को नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष का पद संभाल लिया। आज हुई ताजपोशी से पहले सिद्धू बेहद नरम और शांत दिखाई दे रहे थे। लेकिन मंच संभालते ही उनके तेवरों में गर्मी महसूस की जाने लगी। उन्होंने ‘मसलों’ का जिक्र करते हुए विरोधियों पर निशाना साधा। सिद्धू ने कहा कि विरोधियों के बिस्तर गोल कर दूंगा। जब उन्हें अभिवादन के लिए बुलाया गया तो उन्होंने अपने बैटिंग के अंदाज को दोहराते हुए साफ कर दिया कि वह इस ताजपोशी को अपनी जीत की तरह देख रहे हैं। सिद्धू ने कहा कि हालात के आगे सिकंदर झुकता नहीं  है। कार्यकर्ताओं से आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि कंधे से कंधा मिला आपके साथ चलूंगा।

विरोधियों को ललकारा: सिद्धू ने अपने चिरपरिचित अंदाज में विरोधियों को ललकारा, उन्होंने कहा कि लोग पूछ रहे थे कि सिद्धू अध्यक्ष बनेगा या नहीं। कई तरह की बातें की जा रही थीं। उन्होंने कहा कि आज सारे कांग्रेस के कार्यकर्ता अध्यक्ष बन गए हैं, कार्यकर्ताओं के बिना पार्टी नहीं बनती है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में विरोधियों के बिस्तर गोल कर दूंगा। मेरी चमड़ी मोटी है।

किसानों के लिए बोले सिद्धू: सिद्धू ने अध्यक्ष पद संभालते ही किसान आंदोलन को साधते हुए कहा कि मेरी प्रधानी का सबसे बड़ी जरूरत किसानों को ताकत देना है। उन्होंने किसान मोर्चे से मिलने की भी अपील की है। उन्होंने कहा कि आज देश का किसान दिल्ली की सड़कों पर बैठा हुआ है। सबसे बड़ा मुद्दा यही है।

ताजपोशी से पहले सिद्धू नरम: भले ही तमाम अटकलबाजिय़ों के बाद सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष पद मिला हो लेकिन ताजपोशी से पहले वह बेहद शांत नजर आ रहे थे। उन्होंने शुक्रवार सुबह मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से चंडीगढ़ के पंजाब भवन में मुलाकात की। चाय पार्टी में वह कैप्टन के बगल में बैठे नजर आए।

सिद्धू की चुनौतिया: अध्यक्ष पद पर काबिज होने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू के सामने कई चुनौतियां होंगी। जिनसे निपटने के लिए उन्हें एक खास रणनीति तैयार करनी होगी। सबसे पहले तो यह चुनौती होगी कि तमाम उठापटक के बाद उन्हें बतौर अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर के साथ काम करना होगा। इस तनातनी के दौरान कई तरह की बयानबाजी और खेमेबाजी सामने आई, इनसे निकलते हुए सिद्धू को कैप्टन का साथ निभाना होगा।

इसके अलावा सिद्धू को उन वादों को भी पूरा करने में जुटना होगा जो 2017 में पार्टी की तरफ से किए गए थे। साथ ही पार्टी में नई तरह की गुटबाजी को रोकने की जिम्मेदारी भी सिद्धू के ही कंधों पर होगी, इसके अलावा उनके ऊपर सबसे बड़ी जिम्मेदारी 2022 के चुनावों की रूप रेखा तैयार करनी होगी।