नितिन नबीन ने बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष पद संभाल लिया है। पांच बार के विधायक और दो बार बिहार सरकार में मंत्री रह चुके नितिन नबीन के पास संगठन में काम करने का भी अनुभव है। वह भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री रह चुके हैं।
नितिन नबीन को पार्टी की कमान देकर भाजपा ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि वो लगातार भविष्य की रणनीति पर काम कर रही है। आइए आपको बताते हैं बीजेपी अपनी भविष्य की रणनीति तय करते समय किन बातों का रखती है ख्याल…
नई लीडरशिप पर फोकस
देश और दुनिया की सबसे बड़ी सियासी पार्टी होने का दावा करने वाली बीजेपी लगातार नई लीडरशिप पर फोकस करते हुए फैसले ले रही है। ये फैसले सिर्फ संगठन स्तर पर नहीं, बल्कि सरकार स्तर पर भी लिए जा रहे हैं। हरियाणा में नायब सिंह सैनी, मध्य प्रदेश में मोहन यादव, राजस्थान में भजन लाल शर्मा, दिल्ली में रेखा गुप्ता और ओडिशा में मोहन चरण माझी इसका ताजा उदाहरण हैं।
बीजेपी न सिर्फ अगली पीढ़ी की लीडरशिप पर ही काम रही है, विपक्षी पार्टियों की सोच से कही आगे की रणनीति पर काम कर रही है। भविष्य की लीडरशिप तैयार करने पर बीजेपी का कितना फोकस है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि RSS की स्टूडेंट विंग या कहें कि संघ की नर्सरी – एबीवीपी – से आने वाले युवाओं को संगठन और सरकार में जिम्मेदारी वाली भूमिकाएं दी जा रही हैं।
बीजेपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव रोहित चहल, यूपी में योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल में उनके ओएसडी रहे अभिषेक कौशिक, यूपी बीजेपी के पिछले अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के सहयोगी नितेश तोमर, यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के सहयोगी राहुल सारस्वत इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं। ये सभी कुछ समय पहले तक छात्र राजनीति राजनीति में एक्टिव थे।
ओबीसी पर फोकस लेकिन कैडर को लेकर चल रहे साथ
नरेंद्र मोदी की बीजेपी लगातार बीजेपी का दायरा बढ़ा रही है। पार्टी ओबीसी समुदाय पर फोकस कर रही है। इसी कड़ी में ओबीसी समुदाय से आने वाले कई नेताओं को संगठन और सरकार में जिम्मेदारी है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उसके परंपरागत जनरल कैटेगरी के कैडर को नजरअंंदाज किया जा रहा है।
बीजेपी लगातार ओबीसी और जनरल कैटेगरी के बीच बैलेंस बनाकर चल रही है। पार्टी ने यूपी जैसे बड़े राज्य सहित कई अन्य राज्यों में ओबीसी कैटेगरी से आने वाले नेताओं को संगठन की कमान दी है तो वहीं कायस्थ समाज से आने वाले नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर स्पष्ट कर दिया है कि वह सामाजिक संतुलन को ध्यान में रखकर अपनी रणनीति पर काम करेगी।
नेतृत्व परिवर्तन को सहज बनाना
अन्य दलों में जहां नेतृत्व परिवर्तन एक जटिल विषय है, इसके ठीक उलट बीजेपी ने इसे बेहद सहज बनाकर दिखाया है।
राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में वसुंधरा राजे, शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह जैसे बड़े चेहरों की जगह मोहन यादव, भजनलाल शर्मा और विष्णु देव साय जैसे अपेक्षाकृत नए नेताओं को आगे लाकर नेतृत्व चुनने की शक्ति को केंद्रीय नेतृत्व और संसदीय बोर्ड के हाथ में मजबूती से केंद्रित किया है।
बीजेपी चाहती है कि किसी भी स्तर पर चेहरा बदलने पर भी पार्टी लाइन और नीतियों में निरंतरता बनी रहे। राष्ट्रीय स्तर पर भी अमित शाह से जेपी नड्डा और जेपी नड्डे से नितिन नबीन को संगठन की कमान सौंपकर बीजेपी ने इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है।
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