मनोज कुमार मिश्र
शराब घोटाला मामले में आप के मुखिया अरिवंद केजरीवाल पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। ऐसी स्थिति में प्रमुख नेताओं के जेल जले जाने से पार्टी में बिखराव की संभावना तेज हो गई है। अभी ईडी की ओर से भेजे गए ताजा समन से बचने के लिए केजरीवाल विपश्यना पर चले गए हैं।दिल्ली के शराब (आबकारी) घोटाला में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल को तीसरी बार समन भेजकर तीन जनवरी 2024 को अपने दफ्तर में पेश होने को कहा है। पहले दोनों बार के बुलावे पर केजरीवाल ईडी के दफ्तर नहीं गए। पहली बार नवंबर के बुलावे को पांच राज्यों में चुनाव प्रचार की व्यस्तता का कारण बताया गया।
21 दिसंबर के बुलावे को हर साल की तरह इस साल भी दस दिन के लिए विपश्यना पर जाने के लिए पहले से तय कार्यक्रम में जाना बताकर टाल दिया। वे 22 दिसंबर को विपश्यना के लिए चले गए। दूसरे ही दिन ईडी ने तीन जनवरी 2024 के लिए तीसरा समन भेज दिया। पहले की तरह आप के नेता इसे राजनीतिक से जोड़ रहे हैं लेकिन जो नेता-उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया या राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और दूसरे मामले में गिरफ्तार किए गए दूसरे मंत्री सतेंद्र जैन आदि के मामलों ने एक तरह से साबित कर दिया है कि कोई भी केवल राजनीतिक कारणों से गिरफ्तार नहीं किया गया है।
सिसोदिया के बाद संजय सिंह के लिए विशेष न्यायाधीश एमके नागपाल ने कहा कि उन पर प्रत्यक्ष या परोक्ष घोटाले में शामिल होने का मामला बनता है। केजरीवाल समेत आप के नेताओं को लगता है कि ईडी पूछताछ के बहाने उन्हें गिरफ्तार कर लेगी और फिर प्रधानमंत्री बनने की दावेदारी को कौन कहे मुख्यमंत्री बने रहना संभव नहीं रह जाएगा। इतना ही नहीं पूरी पार्टी बिखर जाएगी। इसी आशंका ने केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं की भाषा बदल दी है।
अब केजरीवाल के जेल जाने के भय से उनको मुख्यमंत्री से हटाने का अभियान चलाया जा रहा है। विपक्षी गठबंधन की बैठक में जैसे ही ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रधानमंत्री के लिए रखा, तुरंत अरविंद केजरीवाल ने उसका अनुमोदन कर दिया। ईडी के समन पर भले ही वे किसी बहाने पेश न हों लेकिन माना जा रहा है कि वे गिरफ्तारी से डरे हुए हैं और कम से कम छह महीना यानि लोकसभा चुनाव तक टलवाना चाहते हैं।
पार्टी का इसी बीच एक और इम्तहान होने वाला है। आप के संजय सिंह, कांग्रेस से आप में आए सुशील गुप्ता और नारायण दास गुप्ता दिल्ली से राज्यसभा के लिए चुने गए। इनका कार्यकाल 27 जनवरी को खत्म हो रहा है। उसके लिए चुनाव 19 जनवरी 2024 को होना है। इस बार उम्मीदवार तय करना आप के सर्वेसर्वा केजरीवाल के लिए बड़ी चुनौती है। संजय सिंह जेल में हैं बाकी दोनों की पार्टी में बड़ी भूमिका नहीं रही है।
दिल्ली और पंजाब में आप ने कांग्रेस को शीर्ष से शून्य पर ला दिया है। बावजूद राजनीतिक समीकरणों के चलते कांग्रेस से ज्यादा भाजपा आप के खिलाफ मुखर है। तीन दिसंबर को जिन राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव नतीजे घोषित हुए, उनमें से हिंदी भाषी तीनों राज्यों-मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में आप पूरी ताकत से चुनाव लड़ी।
तमाम पूर्वानुमानों को झुठलाते हुए भाजपा न केवल भारी बहुमत से मध्य प्रदेश का चुनाव जीती बल्कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ भी जीत कर एक तरह से नया इतिहास रच दिया। ये दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी। आप को इन राज्यों में कोई सीट मिलनी तो दूर की बात रही एक फीसद से भी कम वोट मिले।
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के चलते हुए आर्थिक घोटाले की उप राज्यपाल द्वारा 22 जुलाई 2022 को सीबाआइ जांच के आदेश दिए गए। उसके आधार पर सीबीआइ ने जांच शुरू की और छापेमारी की। आप में नंबर दो माने जाने वाले मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी ने आप पर संकट बढ़ा दिया। इस घोटाले की जांच शुरू होने के करीब डेढ़ साल बाद आप के एक और बड़े नेता संजय सिंह की गिरफ्तारी ने आप की परेशानियां बढ़ा दी है।
हर जांच की दिशा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ इशारा कर रही है। अगर केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई तो आप के बिखरने का खतरा है। आप न तो भाजपा, माकपा जैसी कार्यकर्ता आधारित पार्टी है और न ही समाजवादी पार्टी, राजद आदि जैसी जाति आधारित पार्टी। वह तो अण्णा हजारे के भ्रष्टाचार के खिलाफ चले आंदोलन पर आधारित पार्टी बनी थी।
जो आंदोलनकारी वर्ग था वह तो कब का उनसे अलग हो गया या एक-एक करके केजरीवाल ने उन्हें अलग कर दिया। अब तो उनके मुट्ठी भर लाभार्थी और बड़ी तादात में फ्री की सुविधा पाने वाले लोग हैं, जो केवल अरविंद केजरीवाल पर भरोसा करते हैं। उनके ही दम पर आप का विस्तार होता गया।