मध्य प्रदेश के रायसेन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को लेकर भ्रम दूर करते हुए कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था कभी खत्म नहीं होगी। साथ ही मंडियां भी बंद नहीं होंगी। हम मंडियों के आधुनिकीकरण को लेकर 500 करोड़ रुपए खर्च कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि नए कृषि कानून रातोंरात नहीं आए हैं बल्कि राजनीतिक दलों, कृषि विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों द्वारा इसकी लंबे समय से मांग की जा रही थी।
कृषि कानूनों को समझाने के लिए रायसेन में किसान महासम्मेलन का आयोजन किया गया था जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों पर सरकार की स्थिति स्पष्ट कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों से साफ कर दिया है कि एमएसपी बंद नहीं होगी। अगर एमएसपी बंद करनी होती तो हम स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट क्यों लागू करते। हम किसानों को विश्वास दिलाना चाहते हैं कि एमएसपी पहले की तरह ही जारी रहेगी और कभी बंद नहीं होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार समय-समय पर एमएसपी बढ़ाती रही है। साथ ही यह भी जोर रहा है कि समय-समय पर किसानों से एमएसपी पर धान की खरीद की जाए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तकनीक की वजह से अब किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है। पहले किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड नहीं मिलता था। अब हमने देश के हर किसान को क्रेडिट कार्ड उपलब्ध करवाने के लिए नियमों में बदलाव किया है। अब किसानों को ज्यादा ब्याज पर कर्ज लेने से मुक्ति मिली है। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद अब देश में मजबूत भंडारण नेटवर्क का निर्माण करना है। इसके लिए हम उद्योग जगत से भी कह रहे हैं कि वो आगे आएं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों के कंधे पर बंदूक रख वार किए जा रहे हैं। जो लोग किसानों के नाम पर आंदोलन कर रहे हैं, उन्होंने सरकार में रहते समय किसानों के लिए क्या किया- यह देश को याद रखना चाहिए। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को आठ साल तक दबाए रखा गया। हमने स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को बाहर निकाला और एमएसपी को डेढ़ गुना किया।
मोदी ने कहा कि इनकी धोखाधड़ी का सबसे बड़ा नमूना मध्य प्रदेश में है। इन लोगों ने किसानों से कर्ज माफी का वादा किया था। सरकार में आने के बाद मध्य प्रदेश में तरह-तरह के बहाने बनाए हैं। इसके साथ ही राजस्थान में भी ऐसा किया है। मैं पूछता हूं कि किसानों को और कितना धोखा ये लोग देंगे। हर चुनाव से पहले कर्ज माफी की बात करते हैं। क्या छोटे किसान इसमें आते हैं। किसानों तक कभी पैसा नहीं पहुंचा था। बदले में किसानों को बैंकों का नोटिस और गिरफ्तारी का वारंट मिलता था।
उन्होंने कहा कि ये लोग सिर्फ बड़े किसानों का कर्ज माफ करते हैं। देश अब इन लोगों को भली-भांति जान गया है। आज किसान सम्मान निधि के तहत पैसे सीधे किसानों के खाते में जा रहे हैं। यूरिया को लेकर किसान पहले लाठी खाते थे। हमने यह सुनिश्चित किया कि यूरिया सीधे किसानों के खाते में जाए। भ्रष्टाचार की जुगलबंदी को हमने बंद कर दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम किसानों को अन्न के साथ ऊर्जादाता भी बनाएंगे। दस साल से देश में कई सिंचाई परियोजनाएं पड़ी हुई थीं। हमने उस दिशा में भी काम किया है। हमने कुछ उदाहरण इसलिए दिए हैं कि आप हमारी नियत को परख सके। कृषि कानूनों में अविश्वास का कोई कारण नहीं है।
पीएम ने कहा कि 2014 में देश में दलहन संकट था। सरकार विदेशों से दाल मंगवा रही थी। ये लोग किसानों को तबाह कर रहे थे। विदेशों से दाल मंगवा कर ये लोग मौज कर रहे थे। आपदा के वक्त बाहर से दाल मंगवाई जा सकती है। लेकिन हमेशा क्यों। सरकार के लोग किसानों से सिर्फ डेढ़ लाख मीट्रिक टन दाल खरीदते थे। हमारी सरकार ने दाल की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 50 हजार करोड़ रुपए दिए। हमने 112 लाख मीट्रिक टन दाल की खरीद एमएसपी पर की है।
मोदी ने कहा कि नए कानूनों में हमने किसानों को सिर्फ इतना अधिकार दिया है कि वे अपनी फसल कहीं भी जाकर बेच सकते हैं। उसे जहां फायदा मिलेगा, किसान वहां जाकर बेच सकेगा। अगर किसान की मर्जी मंडी में फसल बेचने की है तो वह मंडी में ही जाकर अपनी फसल को बेचे। देश के हर किसानों को इसका लाभ मिलना चाहिए। किसानों को मंडियों से बांध कर सिर्फ पाप किया गया है। हम मंडियों के आधुनिकीकरण के लिए 500 करोड़ खर्च कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री के मुताबिक, हमने नए कृषि करार में किसानों को सुरक्षा देने के लिए कुछ बदलाव किए हैं। करार करने वाला अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता। कृषि समझौते में सिर्फ उपज और फसल का समझौता होता है। उसमें जमीन का कोई समझौता नहीं होता है। अगर व्यापारी करार खत्म करता है तो उसे किसानों को जुर्माना देना होगा। लेकिन किसान अपनी मर्जी से करार तोड़ सकता है।