Markandey Katju: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू अपने बयानों और सोशल मीडिया पोस्ट के लिए काफी सुर्खियों में रहते हैं। वो अक्सर कुछ न कुछ ऐसा पोस्ट करते हैं जो मीडिया की सुर्खियां बन जाता है। या फिर उनकी पोस्ट की काफी चर्चा होती है। इसी कड़ी में काटजू ने सोमवार को एक पोस्ट किया। जिसमें उन्होंने लोकगायिका नेहा सिंह राठौर और उनके पति हिमांशु सिंह को लेकर दिलचस्प बातें कहीं।
मार्कंडेय काटजू ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “कुछ महीने पहले नेहा सिंह राठौर अपने पति हिमांशु सिंह के साथ मेरे निवास पर मुझसे मिलने आयी थी। मैं और नेहा कुर्सियों पर बैठे थे, और हिमांशु ज़मीन पर।मैंने उनको एक लतीफा सुनाया।”
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज काटजू आगे लिखते हैं, “शेर जंगल का राजा होता है। एक बार एक शेर ने तय किया कि मैं एक शेरनी से शादी करूँगा। उसने सारे जंगल के जानवरों को शादी के भोज में आमंत्रित किया। उन जानवरों में एक बिल्ला भी था। बिल्ला भोज में पहुँच कर वहाँ नाचले लगा। शेर ने कहा यह मेरी शादी है, तो मुझे नाचना चाहिए। तुम क्यों नाच रहे हो ?बिल्ला ने जवाब दिया कि मैं इसलिए नाच रहा हूँ क्योंकि मेरी शादी के पहले मैं भी शेर था। यह सोंचकर कि आपका क्या हश्र होने जा रहा है मुझे बड़ी प्रसन्नता हो रही है। इसीलिए मैं नाच रहा हूँ।”
मार्कंडेय काटजू कहते हैं कि यह कहानी सुना कर मैंने नेहा से कहा कि हम सब मर्द शादी के पहले शेर होते हैं, पर शादी के बाद आप पत्नियाँ हमें बिल्ला बना देती हैं। यह सुनकर हिमांशु, जो ज़मीन पर बैठा था, बोला ” जैसे मैं बिल्ला बन गया हूँ ” । हरि ॐ
कौन हैं मार्कण्डेय काटजू?
मार्कण्डेय काटजू एक सेवानिवृत्त भारतीय न्यायाधीश, विधिवेत्ता और भारतीय प्रेस परिषद के पूर्व अध्यक्ष हैं, जो न्यायपालिका में अपने विशिष्ट कार्यकाल के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और दिल्ली तथा मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है, तथा सामाजिक, राजनीतिक और कानूनी मुद्दों पर अपने मुखर, प्रायः विवादास्पद विचारों के साथ-साथ भारत-पाक एकीकरण की वकालत के लिए भी जाने जाते हैं।
प्रमुख भूमिकाएं एवं कैरियर की मुख्य विशेषताएं
न्यायिक कैरियर: 1991 में इलाहाबाद हाई कोर्ट में पदोन्नत होने के बाद, वे मद्रास हाई कोर्ट (2004) और दिल्ली हाई कोर्ट (2005) के मुख्य न्यायाधीश बने, उसके बाद 2006 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए और 2011 में सेवानिवृत्त हुए।
भारतीय प्रेस परिषद: 2011 से 2014 तक इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
शैक्षणिक एवं कानूनी फोकस: संस्कृत, उर्दू, इतिहास, दर्शन और न्यायशास्त्र में रुचि रखने वाले एक उत्सुक शिक्षाविद्, उन्होंने कानून पर कई पुस्तकें लिखीं।
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पृष्ठभूमि और परिवार
उनका जन्म एक प्रतिष्ठित कानूनी परिवार में हुआ था। उनके पिता एक न्यायाधीश थे, और उनके दादा, डॉ . के.एन. काटजू, एक स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल थे।
सार्वजनिक व्यक्तित्व
वह अपनी सशक्त राय के लिए जाने जाते हैं, जो अक्सर सोशल मीडिया पर व्यक्त की जाती है, जिसमें वे भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के शांतिपूर्ण एकीकरण की वकालत करते हैं और विभिन्न सामाजिक मामलों पर टिप्पणी करते हैं।
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