कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से रोजाना हजारों लोगों की मौत हो रही है। इस महामारी से निपटने के लिए फ़िलहाल सरकार के पास एक मात्र बड़ा हथियार टीकाकरण ही है। लेकिन कई राज्यों ने अपने यहां टीकों की उचित आपूर्ति नहीं होने की शिकायत की है। जिसकी वजह से कई राज्यों में अभी भी व्यापक स्तर पर टीकाकरण नहीं हो रहा है। इस सब के बीच कई राज्यों ने अपने यहां टीकों की उचित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ग्लोबल टेंडर निकालना शुरू कर दिया है। केंद्र सरकार ने टीकों की खरीद के लिए गेंद राज्यों के पाले में डाल दी दी है। इसी को लेकर वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने मोदी सरकार एक बार फिर तंज कसा है।
कोरोना टीकाकरण नीति को लेकर एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा है कि लोकल-लोकल करने वाली सरकार राज्यों से कह रही टेंडर निकालो ग्लोबल-ग्लोबल। रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से सरकार पर तंज कसा है। फेसबुक पोस्ट में रवीश कुमार ने लिखा है कि बजट में बताया गया कि 35000 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इस पैसे से टीका खरीदा जाएगा। बजट में लिखा है कि राज्यों को दिए जाने वाले फंड के तहत यह पैसा है। लेकिन इसे खर्च केंद्र सरकार कर रही है। राज्य सरकार को टीका खरीदने के लिए सरकार कुछ दे रही है या नहीं पता नहीं।
रवीश ने आगे लिखा कि यही नहीं फरवरी के बजट से पहले मोदी सरकार लगता है कि टीका खरीदना भूल गई थी। नहीं तो पता चलता कि सरकार ने कितना प्रावधान किया था? जब दुनिया टीका खरीद रही थी तब मोदी सरकार क्या कर रही थी? यह कैसे हो सकता है कि टीके की खरीद के मामले में सरकार इस तरह हाथ पर हाथ धरे रह जाए। अब पता चल रहा है कि इस पैसे से टीका ख़रीद कर राज्यों को दिया जा रहा था। केंद्र राज्यों के लिए रखे गए पैसे से खरीद रहा है। जब केंद्र को अनुदान ही देना था तो अपने लिए पैसे का प्रावधान कर लेता। वैसे भी इतने पैसे से तो सौ करोड़ डोज़ खरीदे जा सकते हैं तो क्या सौ करोड़ डोज़ के आर्डर दिए गए हैं?
साथ ही रवीश कुमार ने पिछले साल लगे लॉकडाउन को टीकाकरण अभियान से जोड़ते हुए सरकार पर निशाना साधा। रवीश कुमार ने लिखा कि पिछले साल जब तालाबंदी जैसे मूर्खतापूर्ण फैसले से लोग बर्बाद हो गए, अर्थव्यवस्था चौपट हो गई तो नया नारा गढ़ा गया ताकि नई हेडलाइन छप सके। आत्मनिर्भर भारत। लोकल लोकल गाना शुरू हुआ। अब वही सरकार राज्यों को ग्लोबल टेंडर निकालने की अनुमति दे रही है। लोकल है नहीं। ग्लोबल में मिल नहीं रहा है। मोदी सरकार ने ग्लोबल टेंडर क्यों नहीं निकाला, राज्यों से क्यों कहा जा रहा है? तो क्या राज्यों से यह भी कहा जाएगा कि वे अपना दूतावास भी खोल लें।
आगे रवीश कुमार ने लिखा कि आपकी ज़िंदगी से खिलवाड़ अब भी जारी है। इन सवालों को पीछे छोड़ने के लिए नए नए मुद्दे पैदा किए जा रहे हैं। आप लगे रहिए उन मुद्दों में लेकिन लौट कर आना ही होगा इस पर। कोरोना तो जाएगा नहीं। न सरकार की झूठ बोलने की आदत जाएगी। बता दें कि 1 मई से 18+ का वैक्सीनेशन शुरू होने पर कई राज्यों में वैक्सीन की कमी होने लगी। जिसके बाद कई राज्यों ने ग्लोबल टेंडर निकालने शुरू कर दिए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अबतक करीब 10 राज्यों ने अपने यहां वैक्सीन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ग्लोबल टेंडर निकालने की बात कही है। हालांकि कई राज्यों ने यह संभावना जताई है कि ग्लोबल टेंडर निकालने पर राज्यों के बीच एक तरह की होड़ शुरू हो जाएगी। जिसकी वजह से वैक्सीन के दाम और आपूर्ति पर भी प्रभाव पड़ सकता है।