आज भारत विश्व में एक बड़ी शक्ति है। भारत की मजबूत होती आर्थिक स्थिति और वैश्विक मंचों पर उसके बढ़ते महत्त्व को आज सारा विश्व जान रहा है। इसलिए आज चीन भी आज इस बात को महसूस करने लगा है। इसके कारण हैं। एक समय था जब भारत में चीन का काफी सामान बिकने आता था और उसे भारत से काफी विदेशी मुद्रा आसानी से मिल जाती थी।
लेकिन जब से भारत और चीन के बीच गलवान में सीमा विवाद हुआ है, तब से लगातार धीरे-धीरे भारत से चीन का व्यापार, व्यवसाय लगातार खत्म होता जा रहा है। इसलिए अब इन सब बातों के कारण चीन की व्यापारिक कमर टूट रही है, क्योंकि भारत से उसका व्यापार-व्यवसाय जो पहले काफी अधिक था, अब वह एक तरह से काफी कम या कहें कि नहीं के बराबर हो गया है।
इधर भारत का व्यापार विश्व भर के कई देशों में लगातार बढ़ रहा है। यानी हम आज आर्थिक दृष्टि से काफी मजबूत होते जा रहे हैं और चीन की हालत लगातार खराब होती जा रही है। चीन भी आज इस बात को अच्छी तरह जानता है कि भारत से आज उसके बिगड़ते संबंधों का सबसे बड़ा कारण दोनों देशों के बीच सीमा विवाद प्रमुख रूप से है।
मगर चीन हमेशा से यही चाहता है कि सीमा विवाद संबंधी मसलों को पीछे रखकर बाकी विषयों पर, खासतौर पर कारोबारी रिश्तों के विस्तारीकरण की दिशा में आगे बढ़ा जाए। मगर भारत के सख्त रुख का ही आज नतीजा है कि अब उसे अपनी जमीन नजर आने लगी है।
कह सकते हैं कि चीन आज भारत का सामना करने से हिचकने लगा है। फिर कोरोना की शुरुआत चीन से होने के रूप में प्रचारित होने के कारण भी विश्वभर में चीन की व्यापारिक साख काफी कम हुई है। यह बेवजह नहीं है कि भारत के साथ अपने रिश्ते सुधारने के लिए आज चीन बेकरार दिखता है। लेकिन हम अपनी अस्मिता और अपनी सीमा के विवाद को लेकर उससे कोई समझौता नही करें, तो बेहतर है।
मनमोहन राजावतराज, शाजापुर, मप्र।
विरोध का तरीका
कुछ समय पहले मेघालय में भी जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर शिलांग के अतिरिक्त मौसम के अनुसार दूसरे स्थान पर राजधानी बनाने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री से बातचीत के दौरान जमा भीड़ ने सचिवालय पर पत्थरबाजी की और कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए। उत्तराखंड में ऐसी ही मांग के चलते तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।
दरअसल, हर जगह एक जैसी परिस्थितियां नहीं होती हैं, लेकिन अगर मांग मनवाना ही है तो उसमें पहले भीड़तंत्र और फिर हिंसा तंत्र यानी दोनों के समावेश से ही किसी मांग को मनवाना उचित नहीं है। मांग उठाना और उसे पूरा कराना जायज भी है तो इसके लिए लोकतांत्रिक तरीके अपनाने होंगे।
बीएल शर्मा ‘अकिंचन’, उज्जैन।
बादल निहारते किसान
बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्य में वर्षा नहीं होने से सूखे की स्थिति हो गई है। किसान आसमान में छाए बादलों को आशा भरी नजरों से निहार रहे हैं, लेकिन ये भी दगा दे रही है। सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण आज भी करीब अस्सी फीसद किसान प्रकृति के भरोसे हैं। नहर है तो पानी नहीं, आधे से अधिक ट्यूबवेल बंद पड़े हैं।
निजी बोरिंग भी जल स्तर गिरने से नाकाम हो रहे हैं। जुलाई के महीने का अंतिम दौर धान की रोपाई का समय होता है। लेकिन यहां रोपनी की बात तो दूर, धान के बिचरे सूख रहे हैं। यही हाल मौसमी सब्जियों की भी हैं।
देश के पश्चिम-उत्तरी भाग में अतिवृष्टि से जन-जीवन अस्त व्यस्त है तो पूर्वी दक्षिणी भाग अनावृष्टि से अकाल की स्थिति बनी हुई है। बिहार में कुछ समय बाद वर्षा होती है तो ‘का वर्षा जब कृषि सुखाने’ वाली बात होगी। सिंचाई का समुचित प्रबंधन नहीं होने के कारण किसानों के सामने भयावह स्थिति हो जाती है।
बिहार सरकार ने डीजल अनुदान की घोषणा की है, लेकिन इसके लिए प्रक्रिया इतनी जटिल है कि इसका लाभ लेने से किसान वंचित रह जाते हैं और गैर-किसान इसका लाभ ले लेते हैं। दिनोंदिन पेड़ों की कटाई, नगरीकरण, बढ़ते प्रदूषण के प्रभाव भी अल्पवर्षा के कारण बन रहे हैं। सरकार किसानों को सुखाड़ से अविलंब राहत देने की योजना बनाए।
प्रसिद्ध यादव, बाबूचक, पटना।
अंतरिक्ष में सिरमौर
अंतरिक्ष में भारत के बढ़ते कदम दुनिया की नजर में अजूबा हैं। कभी इस क्षेत्र में नया माना जाने वाला भारत चंद्रयान की आरंभिक सफलता के बाद अब सूर्य के पास पहुंचने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। इस संभावित अभियान के लिए आरंभिक तैयारियों से इस दिशा में सार्थक कदम बढ़ने की उम्मीद है।
भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियां दुनिया को चौंकाने वाली साबित हो रही है। आजादी के बाद जब सीमित साधन और बहुत कम बजट के बाद के बीच जब हमारे अभियान शुरू हुए, तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि आने वाले समय में भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में उस ऊंचाई पर बढ़ जाएगा, जिसकी उम्मीद बड़े राष्ट्र भी नहीं कर सके हैं।
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब वैज्ञानिक देश के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल-1 को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर चुके हैं। सूर्य की निगरानी के लिए भेजे भेजे जा रहे इस उपग्रह के सभी उपकरणों का परीक्षण किया जा चुका है। अब अंतिम समीक्षा बाकी है। कई लाख किलोमीटर की दूरी पर अंतरिक्ष में आदित्य एल-1 की तैनाती उस जगह होगी, जहां से सूर्य हर समय नजर आएगा।
सूर्य से पृथ्वी तक आने वाले अर्चित कणों के पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में फंसने के कारणों का पता लगाने के साथ ही सूर्य की कई अन्य महत्त्वपूर्ण गतिविधियों का भी अध्ययन होगा। इससे वैज्ञानिक खोज को आधार मिलेगा। आदित्य का परीक्षण भारत के इरादों और उसकी बड़ी मेहनत को प्रमाणित करेगा।
अमृतलाल मारू ‘रवि’, इंदौर, मप्र।