यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के पहले चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने कहा कि एनडीए सरकार के आधार बिल में सुरक्षा के पर्याप्त प्रावधान हैं और निजता के मामले में यह यूपीए के बिल से भी बेहतर है। एनडीए ने बुधवार को आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवा की लक्षित डिलीवरी ) बिल, 2016 को संसद में पारित करा लिया। नंदन नीलेकणि ने कहा कि एनडीए सरकार का बिल निजता के मामले में यूपीए सरकार के बिल से भी बेहतर है। बिल में निजता की सुरक्षा के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। ऐसे प्रावधान भारत के किसी भी बिल में अब तक नहीं किए गए।
नीलेकणि ने बताया कि एनडीए सरकार के बिल में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि आधार नंबरों के आवंटन के लिए ली गई बॉयोमेट्रिक जानकारियों का इस्तेमाल केवल पंजीयन और प्रमाणन के लिए किया जाएगा। इसका किसी और मकसद के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा और किसी से साझा भी नहीं किया जाएगा। बिल में ये भी कहा गया है कि ऐसी सूचनाओं को छापा भी नहीं जाएगा और कहीं प्रदर्शित भी नहीं किया जाएगा।
नीलेकणि के मुताबिक, एनडीए सरकार के बिल में UIDAI बॉयोमेट्रिक जानकारियों को किसी संस्थान के साथ साझा नहीं कर सकते। अगर उसे किसी व्यक्ति की पहचान के लिए इन जानकारियों की आवश्यकता होगी तो भी उसे दिया नहीं जाएगा। बिल में राष्ट्रीय सुरक्षा को ही एक मात्र ऐसा मानदंड माना गया है, जिसमें UIDAI को जानकारियों को साझा करने की छूट होगी। राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में केंद्र सरकार का संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी अगर सहमति देगा तो किसी भी व्यक्ति की जानकारियों का साझा किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि ऐसे हालात में भी निर्देश केवल छह महीने के लिए ही मान्य होंगे और एक ओवरसाइट कमेटी को पहले उस निर्देश की समीक्षा करनी पड़ेगी। उस कमेटी में कैबिनेट सचिव, कानूनी मामलों और सूचना तकनीक विभाग के सचिव शामिल होंगे।