दिल्ली में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के 87 वर्षीय प्रमुख सुखदेव सिंह ढींडसा को अकाली नेता स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल का “असली उत्तराधिकारी” बताया था। लोकसभा चुनाव से लगभग नौ महीने पहले 18 जुलाई को एनडीए की मेगा बैठक के लिए भाजपा की ओर से आमंत्रित पंजाब की अकेली पार्टी शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) थी।
सितंबर 2020 में तीन कृषि कानूनों के विरोध में एनडीए से अलग हो गये SAD
भाजपा के सबसे पुराने सहयोगियों में से एक और एनडीए के संस्थापक सदस्य प्रकाश बादल के बेटे सुखबीर बादल के नेतृत्व वाला शिरोमणि अकाली दल (SAD) सितंबर 2020 में तीन कृषि कानूनों के विरोध में एनडीए से बाहर चले गए थे। हालांकि ऐसे संकेत हैं कि भाजपा और अकाली दल 2024 के चुनावों के लिए अपने संबंधों को फिर से जोड़ने पर विचार कर रहे हैं, लेकिन दोनों दलों ने सार्वजनिक तौर पर गठबंधन के सवाल को खारिज कर दिया है।
इस बीच पीएम की टिप्पणी ने ढींडसा और उनके अकाली दल से अलग हुए संगठन शिअद (संयुक्त) को सुर्खियों में ला दिया है। एनडीए की बैठक में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के भी मौजूद होने पर पीएम ने कहा, “आज, प्रकाश सिंह बादल जी और बालासाहेब ठाकरे जी के असली उत्तराधिकारी हमारे बीच हैं।”
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा- पीएम ने पुरानी भावना को महसूस किया होगा
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पंजाब बीजेपी अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा, “शायद यह पीएम के दिमाग में था कि उस समय अटल बिहारी वाजपेयी साहब और प्रकाश सिंह बादल साहब के बीच और बीजेपी और अकाली दल के बीच पूरी व्यवस्था पंजाब में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए थी। मुझे लगता है कि वही भावना आज भी कायम है, भले ही हमारे साथी कुछ मुद्दों पर अलग हो गये हों, लेकिन शांति और सद्भाव का अंतर्निहित मुद्दा पीएम मोदी के दिमाग में है और यही हमारी वर्तमान या भविष्य की किसी भी व्यवस्था का मार्गदर्शन करता है।”
पंजाब बीजेपी के वरिष्ठ नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा, ”ढींडसा साहब बादल प्रकाश सिंह बादल साहब के बहुत करीबी सहयोगी रहे। सुखबीर बादल ने उन्हें अपमानित करके पार्टी से बाहर कर दिया था। बादल साहब एक राष्ट्रवादी नेता थे और ढींडसा साहब भी एक राष्ट्रवादी नेता थे। और मुझे लगता है कि उनका और उनकी विचारधारा का सम्मान करना और विरासत को आगे बढ़ाना आवश्यक है। सुखबीर बादल को भी बादल साहब की विचारधारा का सम्मान करना चाहिए। वह ऐसा नहीं कर रहे हैं। अकाली दल एक परिवार से संबंधित नहीं है, क्योंकि यह संघर्षों से उभरा है।