केंद्र के भूमि अधिग्रहण विधेयक का विरोध करते हुए सोमवार को कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ता प्रदर्शन करते हुए जंतर-मंतर पहुंचे, जहां उनकी पुलिस के साथ जमकर झड़प हुई। जंतर-मंतर से संसद मार्ग की ओर बढ़ रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अवरोधकों को तोड़ने का प्रयास किया। उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया और पानी की बौछार छोड़ी। इसमें भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह सहित कुछ लोग घायल हो गए।
गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, जयराम रमेश, अंबिका सोनी, अहमद पटेल आदि ने जंतर-मंतर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी प्रदर्शन में नहीं पहुंचीं लेकिन उन्होंने अहमद पटेल के जरिए संदेश भेजकर प्रदर्शनकारियों के प्रति एकजुटता प्रकट की। पटेल ने सोनिया गांधी का संदेश पढ़ते हुए कहा- सोनिया गांधी ने कहा है कि वह हमेशा उन लोगों के साथ हैं और आंदोलन का साथ देना व समर्थन करना जारी रखेंगी।
आजाद ने राज्यसभा में इस विधेयक को पारित होने से रोकने का वादा करते हुए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को यूपीए सरकार के लाए गए खाद्य सुरक्षा कानून को कमजोर करने का प्रयास करार दिया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि आप संसद के बाहर प्रदर्शन जारी रखिए, हम विधेयक को संसद में पारित नहीं होने देंगे। भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास व पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 में पारदर्शिता व उचित मुआवजे के अधिकार के लिए लाए गए प्रस्तावित संशोधन विधेयक के लोकसभा में पारित होने के बाद अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा।
‘किसान विरोधी नरेंद्र मोदी’ का नारा लगाते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश, राज बब्बर, रणदीप सुरजेवाला, सचिन पायलट, कुमारी शैलजा, दीपेंद्र हुड्डा, अजय माकन और युवा कांग्रेस के अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं ने यहां जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा के भट्टा-पारसौल गांव से जयराम रमेश के नेतृत्व में शुक्रवार को पैदल मार्च शुरू हुआ था जो रविवार रात यहां राजघाट पहुंचा।
रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दस लाख के सूट को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि एक साबरमती के संत (गांधी) थे जिन्होंने सादी जीवन शैली में विश्वास किया और आज हमारे एक साबरमती के महंत (मोदी) हैं जो दस लाख रुपए का सूट पहनते हैं। वे घर वापसी की बात करते हैं जबकि हम जमीन वापसी की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि संशोधनों के खिलाफ संसद और बाहर हमारी लड़ाई जारी रहेगी।
राज बब्बर ने विधेयक में सहमति के प्रावधान को हटाने के सरकार के कदम पर आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा कि हम पूरी तरह संशोधनों के खिलाफ हैं। प्रस्तावित कानून में किसानों को अपनी जमीन के बारे में फैसला लेने का अधिकार नहीं है। कैसे किसी किसान, जिसके लिए जमीन उसकी मां समान होती है, की सहमति के बिना उसे इसे दूसरे के हवाले करने को कहा जा सकता है।
सुरजेवाला ने कहा कि किसानों के साथ मिलकर कांग्रेस का यह आंदोलन मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के ‘किसान विरोधी रवैए’ को बेनकाब कर सके। उन्होंने कहा कि यह भट्टा-पारसौल से संसद तक भारतीय युवा कांग्रेस की रैली है। मोदी का काला कानून गायब हो जाएगा। भाजपा का किसान विरोधी चेहरा बेनकाब हो जाएगा। कांग्रेस और किसान दोनों की जीत होगी।