बिहार विधानसभा चुनाव की चल रही तैयारियों के दौरान कई तरह के रंग देखने को मिल रहे हैं। दिलचस्प ये कि यहां सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के घटक दल भी एक-दूसरे की गतिविधियों को संदेह, संशय और संदिग्ध भरी निगाहों से देख रहे हैं। उन्हें डर इस बात का है कि उनके आधार मतों को कोई दूसरा न झटक ले। यूं कहें कि अंदरखाने कूटनीतिक तकरार चरम पर है और सभी अपने-अपने हिसाब से तैयारियों में जुटे हैं।
एनडीए के घटक दल के रूप में बीजेपी, जेडीयू, लोजपा (रा), रालोमो और हम पार्टी है। यहां जदयू के प्रमुख नीतीश कुमार बतौर मुख्यमंत्री वर्षों से काबिज हैं। इंडिया गठबंधन और एनडीए में आते-जाते रहने के लिए चर्चित नीतीश कुमार को इस बार भी मुख्यमंत्री बनाने के लिए घटक दलों ने एकजुटता दिखाई है। लेकिन धरातल पर कहानी कुछ और ही है।
सबसे बड़ी पार्टी है बीजेपी
बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 74 सीटें जीती थीं। बाद में हुए उपचुनाव में राजद से कुढ़नी सीट हथिया ली। फिर भाजपा की संख्या 75 हुई। तदोपरांत वीआइपी के सभी तीन विधायक भाजपा में आ गए। इससे भाजपा के विधायकों की संख्या 78 हो गई। दो विधायकों के सांसद बनने पर हुए उपचुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी जीते और अब कागज पर इनकी संख्या 80 हो गई। आगामी चुनाव के लिए अन्य घटक दल चिंतित हैं कि कहीं भाजपा उनके आधार मतों में सेंधमारी न कर ले। भाजपा के बिहार प्रवक्ता मनोज शर्मा ने इस भ्रम को दूर किया। उन्होंने जनसत्ता से कहा कि राजग को मजबूत करना हम सबकी जिम्मेदारी है। संदेह-संशय जैसी कोई बात नहीं।
जदयू ने 2020 के चुनाव में पार्टी ने 43 सीटें जीती थीं। इसके बाद बसपा और लोजपा के एक-एक विधायक जदयू में आ गए। इस तरह जदयू 45 विधायकों वाली पार्टी बन गई। इसी वर्ष रूपौली की विधायक बीमा भारती ने इस्तीफा दे दिया और राजद में शामिल हो गईं। इससे जदयू के विधायकों की संख्या 44 हो गई। उपचुनाव में बेलागंज पर जीतने के बाद जदयू की संख्या फिर 45 हो गई। बिहार में जदयू का सांगठनिक स्वरूप थोड़ा लचर है। इसके कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को पार्टी की नीतियां नहीं सरकारी योजनाओं पर ज्यादा भरोसा है। जैसी भी है, लेकिन जदयू भी पूरे राज्य में अपनी तैयारियों को अमलीजामा पहना रही है। इसे भी अन्य घटक दलों की चिंता नहीं है। इस संदर्भ में जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि सरकार में होने के नाते राजग के लिए माहौल बनाना व उसे कायम रखना पार्टी की जिम्मेदारी है।
मांझी और उपेंद्र कुशवाहा भी बना रहे दबाव
लोजपा (रा) का सदन में कोई विधायक नहीं है। लोकसभा चुनाव में एनडीए के घटक दल के रूप में पांच सीटों पर पार्टी ने चुनाव लड़ा था। सभी पांचों सीटों पर जीत मिली। सौ फीसद ‘स्ट्राइक रेट’ होने के कारण पार्टी प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान का हौसला पहले से ज्यादा बढ़ गया है। धरातल पर एनडीए के घटक दलों को सबसे ज्यादा तनाव चिराग पासवान और उनकी पार्टी से है। वे सत्तारूढ़ जदयू प्रमुख नीतीश कुमार को भी लपेटे में लेते हुए दिख जाते हैं। 29 जून को नीतीश के गढ़ राजगीर में हुई चिराग की बहुजन भीम संकल्प समागम में पहुंची भीड़ ने जदयू नेताओं को डरा दिया है। लोजपा (रा) भी सभी 243 सीटों पर तैयारी में है। इस संदर्भ में लोजपा (रा) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने कहा कि वे एनडीए के अहम घटक हैं। इसलिए गठबंधन को मजबूत करना हमारी जिम्मेदारी है। उसे हम पूरी तरह निभा रहे हैं।
रालोमो की सांगठनिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती। वजह ये है कि विधानसभा और लोकसभा में इसके कोई सदस्य नहीं है। हां, पार्टी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा राज्यसभा सांसद जरूर हैं। लेकिन कुशवाहा लोकलुभावन राजनीति में विश्वास नहीं करते। वे धीमी गति से चलेंगे, लेकिन दूर तक जाएंगे। राज्य के कुछ कोइरी बहुल इलाकों में उनके समर्थक काम में जुटे हैं। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें कौन-कौन सीट मिलेगी, इसलिए भ्रम है।
रालोमो की तैयारियों के बाबत पार्टी के मीडिया सलाहकार प्रमोद कुमार सुमन ने कहा कि हमलोग जात-पात और ‘वोट बैंक’ की राजनीति में भरोसा नहीं रखते। हम सबके हित में काम करते हैं और हर वर्ग के लोग हमारे हैं। विधानसभा चुनाव की तैयारी के संदर्भ में उन्होंने कहा कि पार्टी अपनी गति से तैयारी कर रही है। इसी सिलसिले में रालोमो प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने बीते दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात भी की थी। इस दौरान चुनाव की तैयारियों पर विस्तृत बात हुई।
राज्य में हम पार्टी की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के चार विधायक जीते थे। उनमें से एक वह खुद थे, जो सांसद बन गए। बाद में इमामगंज की उनकी विधानसभा सीट बहू दीपा मांझी ने जीत ली। इस तरह विधानसभा में हम के चार विधायक हैं। हालांकि, इस बारे में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार में मंत्री सतोष सुमन का मानना है कि आगामी चुनाव में पार्टी पहले से बेहतर प्रदर्शन करेगी।