मुंबई। महाराष्ट्र में भाजपा सरकार को बाहर से समर्थन देने की घोषणा करने वाली राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने आज कहा कि फिर से चुनाव टालने के लिए यह फैसला किया गया था लेकिन उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी प्रभावी विपक्ष की भूमिका निभाएगी।

पवार ने कहा कि अल्पमत सरकार को समर्थन देने का फैसला ‘‘सोच समझकर लिया गया और सामूहिक’’ था तथा यह भाजपा के साथ किसी ‘‘गुप्त सौदे’’ का हिस्सा नहीं था। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमने अपने फैसले के बारे में किसी के साथ विचार विमर्श नहीं किया है। यह राज्य के व्यापक हितों के मद्देनजर सोच समझकर लिया गया और सामूहिक फैसला था। किसी ने हमसे समर्थन के लिए नहीं कहा। भाजपा हमारा समर्थन नहीं स्वीकार करने के लिए स्वतंत्र है।’’

पवार ने कहा कि चूंकि कांग्रेस और राकांपा वैकल्पिक सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थीं, ऐसे में फिर से चुनाव की स्थिति को टालने के लिए एकमात्र तरीका भाजपा सरकार को समर्थन देना था। उन्होंने कहा कि विधायकों की संख्याएं ऐसी हैं कि वैकल्पिक सरकार की कोई संभावना नहीं है। हम नहीं चाहते कि राज्य में तत्काल एक और चुनाव हो।

पवार ने उन बातों को खारिज कर दिया कि राकांपा द्वारा भाजपा सरकार को बाहर से समर्थन देना किसी ‘‘गुप्त सौदे’’ का हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार राकांपा नेताओं के खिलाफ सभी आरोपों की जांच के लिए स्वतंत्र है ताकि सच्चाई सामने आ सके। अगर उसके फैसले या विधेयक लोकोन्मुखी नहीं होंगे तो हम सरकार का समर्थन नहीं करेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि राकांपा सरकार को अस्थिर नहीं करेगी लेकिन वह एक प्रभावी विपक्ष की भूमिका निभाएगी।’’
राकांपा नेता पवार ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की भी ‘‘भगवा आतंकवाद’’ संबंधी बयान के लिए आलोचना की।
भाजपा को अल्टीमेटम देते हुए उद्धव ने कहा था कि अगर सरकार अपने अस्तित्व के लिए राकांपा का समर्थन लेती है तो उनकी पार्टी विपक्ष में बैठेगी क्योंकि पवार ने ‘‘भगवा आतंकवाद’’ के बारे में टिप्पणी की थी।

पवार ने कहा, ‘‘ यह भगवा आतंकवाद मुद्दा कैसे आ गया? मैंने इन शब्दों का उपयोग मालेगांव विस्फोट मामले में कुछ साल पहले किया था। लेकिन यह उस समय बाधा नहीं था जब राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन के लिए मैं प्रणब मुखर्जी को मातोश्री (ठाकरे निवास) लेकर गया था।’’
राकांपा प्रमुख ने कहा कि इसके पहले उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिभा पाटिल के लिए शिवसेना से समर्थन मांगा था और पार्टी ने आसानी से समर्थन दे दिया था।

उद्धव की उस टिप्पणी के बारे में जिसमें उन्होंने पवार को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की 13 दिनों की सरकार गिराने का दोषी ठहराया था, राकांपा नेता ने कहा कि उस समय लोकसभा में विपक्ष का नेता होने के नाते उन्होंने वही किया जो उनसे उम्मीद थी।

पवार ने कहा, ‘‘अन्य को हमें यह सलाह देने की कोई जरूरत नहीं है कि हमें क्या करना चाहिए। इसी प्रकार भाजपा के लिए हमारा समर्थन स्वीकार करने या इंकार करने की कोई आवश्यकता नहीं है। हम जो भी फैसला करें, उसका कार्यान्वयन करेंगे और यह कार्यवाही में दर्ज होगा।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या राकांपा सरकार द्वारा बुधवार को पेश किए जाने वाले विश्वासमत प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करेगी या मतदान में भाग नहीं लेगी, पवार ने कहा, ‘‘विधायक दल उसी दिन फैसला करेगा।’’

महाराष्ट्र में अभी विधानसभा की प्रभावी संख्या 287 है और भाजपा के पास 121 विधायक हैं। उसे सात निर्दलीय और कुछ छोटे दलों का समर्थन मिला है। शिवसेना के पास 63 विधायक हैं जबकि राकांपा के 41 सदस्य हैं।
अगर शिवसेना अंतत: विपक्ष में बैठने और सरकार के खिलाफ मतदान का फैसला करती है तो देवेंद्र फडणवीस सरकार राकांपा की मदद से बहुमत साबित कर सकती है।