NCP chief Sharad Pawar: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने शनिवार को बड़ा बदलाव किया है। एनसीपी चीफ शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। एनसीपी चीफ के इस फैसले के बाद अजित पवार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। पिछले दिनों ही शरद पवार ने पार्टी प्रमुख की जिम्मेदारी छोड़ने का ऐलान किया था। हालांकि, कार्यकर्ताओं की नाराजगी और नेताओं के मनाने के बाद उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया था। अब पार्टी में दो नए कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर हाईकमान ने चौंका दिया है।

एनसीपी का आज 25वां स्थापना दिवस है। पार्टी चीफ शरद पवार ने कहा, ‘एनसीपी को मजबूत करने के लिए हम सब लोगों को काम करना पड़ेगा। प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले को वर्किंग कमेटी का प्रेसिडेंट बनाने का फैसला लिया जा रहा है। सुप्रिया सुले को हरियाणा और पंजाब की जिम्मेदारी दी गई है।

शरद पवार ने कहा, सभी विपक्षी पार्टियों को साथ आना होगा, मुझे यकीन है कि इस देश की जनता हमारी मदद करेगी। 23 तारीख को हम सभी बिहार में मिलेंगे, चर्चा करेंगे और एक कार्यक्रम लेकर आएंगे और देश भर में यात्रा करेंगे और इसे लोगों के सामने पेश करेंगे।

किसे क्या मिली जिम्मेदारी

एनसीपी चीफ शरद पवार ने सुप्रिया सुले को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष के साथ ही महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, महिला युवा और लोकसभा समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी है। प्रफुल्ल पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष के साथ मध्य प्रदेश, राजस्थान, गोवा की जिम्मेदारी दी गई है। सुनील तटकरे को राष्ट्रीय महासचिव के अलावा ओडिशा, पश्चिम बंगाल, किसान, अल्पसंख्यक विभाग का प्रभारी बनाया गया है। नंदा शास्त्री को दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष और फैसल को तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल राज्य की जिम्मेदारी दी गई है।

जानिए कौन हैं सुप्रिया सुले?

सुप्रिया सुले महाराष्ट्र की जानी मानी राजनेता हैं। वर्तमान में वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की नेता और बारामती से सांसद हैं। सुप्रिया सुले बारामती सीट से 2009 से ही सांसद हैं। वह एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार की बेटी हैं। सुप्रिया सुले संसद में अपनी बेबाकी से राय रखती हैं। सोशल मीडिया पर भी वह काफी एक्टिव रहती हैं। सुप्रिया सुले का जन्म 30 जून 1969 को पुणे में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट कोलंबिया स्कूल से की। इसके बाद सुप्रिया सुले ने मुंबई के जय हिंद कॉलेज से माइक्रोबायोलॉजी से बीएससी की डिग्री हासिल की।

बाला साहेब ठाकरे की भांजे से हुई है सुप्रिया की शादी

4 मार्च 1991 में सुप्रिया सुले की शादी सदानंद भालचंद्र सुले के साथ हुई थी। उस वक्त सुप्रिया एक अखबार में पत्रकार के तौर पर काम कर रही थीं। दोनों की मुलाकात एक पारिवारिक मित्र की पार्टी के दौरान हुई थी। सदानंद सुले शिवसेना के संस्थापक बाल साहेब ठाकरे के भांजे हैं, इसलिए सुप्रिया सुले बाल ठाकरे को काका कहती थीं।

शादी के बाद सुप्रिया सुले और सदानंद विदेश रहने लगे। इस दौरान सुप्रिया ने अमेरिका के बर्कले यूनिवर्सिटी से जल प्रदूषण का अध्ययन किया। इसके बाद दोनों सिंगापुर और इंडोनेशिया में भी रहे। सुप्रिया और सदानंद के की दो बच्चें हैं। बेटी का नाम रेवती और बेटे का नाम विजय है।

सुप्रिया सुले ने 2006 में रखा राजनीति में कदम

सुप्रिया सुले पहली बार साल 2006 में राज्यसभा के सदस्य के रूप में राजनीति में कदम रखा। इसके बाद वह 2009 में बारामती से सांसद बनीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले ने आरएसपी के महादेव जगन्नाथ को 69 हजार वोटों से हरा कर एक बार फिर सांसद बनीं।

प्रफुल्ल पटेल का राजनीतिक सफर-

प्रफुल्ल पटेल का जन्म महाराष्ट्र के गोंदिया में हुआ। उनके पिता मनोहरभाई पटेल बीड़ी का कारोबार करते थे। साथ ही वो एक सफल बिजनेसमैन थे। इसके साथ मनोहर भाई गोंदिया सीट से कांग्रेसी विधायक थे। उन्हें इंदिरा गांधी, मोरारजी देसाई, यशवंत राव चव्हाण और बाबूभाई पटेल जैसे नेताओं का करीबी माना जाता था। प्रफुल्ल पटेल ने अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए राजनीति में कदम रखा। हालांकि, जब मनोहर भाई पटेल की मौत हुई तो प्रफुल्ल की उम्र केवल 13 वर्ष थी। इसी वक्त महाराष्ट्र की सियासत में शरद पवार का नाम बड़ा हो रहा था और उनका सानिध्य प्रफुल्ल पटेल को भी मिला।

जानिए कौन हैं अजित पवार?

शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं अजित पवार। अजित पवार का जन्म 22 जुलाई 1959 को हुआ था। अजित के पिता अनंतराव मशहूर फिल्म निर्देशक वी. शांताराम के साथ काम कर चुके हैं और वे चाहते थे कि अजित भी फिल्म इंडस्ट्री में अपना करियर बनाएं, लेकिन अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार की राह चुनी और उनके नक्शे-कदम पर चलते हुए साल 1982 में राजनीति में प्रवेश किया और कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री के बोर्ड में चुने हुए। वह पुणे जिला कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन भी रहे। इसी दौरान बारामती से लोकसभा सांसद भी निर्वाचित हुए, बाद में उन्होंने शरद पवार के लिए यह सीट खाली कर दी थी।

अजित पवार की सियासी कर्मभूमि बारामती है, जहां शरद पवार ने भी राजनीति का ककहरा सीखा था। अजित पवार यहां से 1991 से अब तक 7 बार विधायक चुने गए हैं। साल 2010 में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार में अजित पवार पहली बार महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री बने। हालांकि सितंबर 2012 में एक घोटाले के चलते उन्हें इस्तीफा देना पड़ा, लेकिन बाद में एनसीपी ने एक श्वेत पत्र जारी किया और कहा कि अजित पवार बेदाग हैं।