Odisha Politics: हाल ही में हुए हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन (India Alliance) के दलों को मिली हार के बाद एक बार फिर ईवीएम (EVM) यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर सवाल उठाए जाने लगे। कांग्रेस से लेकर एनसीपी, शिवसेना यूबीटी तक, सभी इस बात पर अड़ गए कि वापस बैलेट से चुनाव कराए जाएं। विपक्षी दलों के बीच अब ओडिशा के पूर्व सीएम और बीजेडी नेता नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) ने भी ईवीएम और चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं।

दरअसल, बीजेडी ने 24 दिसंबर को चुनाव आयोग के पास एक याचिका लगाई थी। इसमें पार्टी ने लोकसभा और ओडिशा विधानसभा चुनाव के एक साथ होने की विसंगतियों का उल्लेख किया था, जिसके चलते बीजेडी को, बीजेपी से करारी हार का सामना करना पड़ा था। दिलचस्प बात यह है कि पहले बीजेपी ओडिशा में मुख्य विपक्षी दल थी लेकिन उसके केंद्र की राजनीति में बीजेपी से अच्छे संबंध थे।

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नवीन पटनायक ने की बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग

बीजेडी प्रमुख और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि ये चुनावी विसंगतियां निश्चित रूप से पार्टी की हार की वजह रहीं। नवीन पटनायक ने इस मामले में सावधानीपूर्वक गहन जांच करने की मांग तक कर डाली।

विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन ईवीएम को हटाकर बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग लंबे वक्त से करता रहा था लेकिन अब यही मांग नवीन पटनायक ने भी कर दी है। पूर्व सीएम नवीन पटनायक ने कहा कि अगर पेपर बैलेट की वापसी होती है तो हम इसका समर्थन करते हैं।

BJD ने चुनाव आयोग के सामने क्या कहा?

BJD का दावा है कि उसने चुनाव आयोग को जो याचिका दी है, उसमें विसंगतियों को स्पष्ट करने वाले लगभग 200 पृष्ठों के ठोस आंकड़े हैं। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी ने अपनी याचिका में मुख्य रूप से तीन प्रमुख चिंताएं उठाई हैं।

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पार्टी के तीन मुद्दों की बात करें तो इसमें बूथ स्तर पर डाले गए कुल वोटों और उनके संबंधित ईवीएम से गिने गए कुल वोटों में अंतर; एक साथ होने के बावजूद लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए डाले गए वोटों में अंतर; और मतदान के दिन चुनाव आयोग द्वारा बताए गए मतदाता मतदान और दो दिन बाद घोषित अंतिम आंकड़ों में “बहुत बड़ा अंतर का उल्लेख किया गया है।

वोटों के अंतर को लेकर BJD के तर्क

बीजेडी नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद अमर पटनायक ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा गिने गए वोटों की कुल संख्या पीठासीन अधिकारी द्वारा डाले गए वोटों की रिपोर्ट से अलग नहीं हो सकती, खासकर तब जब ईवीएम का इस्तेमाल किया जाता है।

पूर्व राज्यसभा सांसद ने कहा कि बूथ स्तर पर अंतर इतना अधिक है कि संभवतः बूथों पर मिलान करने पर चुनाव के अंतिम परिणाम पर असर पड़ सकता है। ये अंतर पूरी प्रक्रिया की ईमानदारी पर भी सवाल उठाते हैं।

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वोटिंग प्रतिशत को लेकर क्या हैं सवाल?

वोटिंग के दिन चुनाव आयोग द्वारा बताए गए मतदान प्रतिशत और अंतिम आंकड़ों में अंतर पर भी बीजेडी ने सवाल उठाए। यह अंतर 50 विधानसभा सीटों पर 15 से 30 प्रतिशत अंकों के बीच था। बीजेडी ने मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी के निर्वाचन क्षेत्र क्योंझर और कांतमाल में असामान्य वृद्धि की ओर भी इशारा किया।

बीजेडी ने आरोप लगाया कि क्योंझर में शाम 6 बजे मतदान बंद होने और दो दिन बाद चुनाव आयोग द्वारा जारी अंतिम आंकड़े के बीच मतदान में 30.64 प्रतिशत अंकों की वृद्धि हुई थी। पार्टी ने कहा कि मतदान के दिन रात 11.45 बजे घोषित आंकड़े और अंतिम आंकड़े के बीच मतदान में लगभग 10 प्रतिशत अंकों की वृद्धि हुई।

बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान मांझी ने बीजेडी के उम्मीदवार के खिलाफ क्योंझर में 11,577 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। पूर्व सांसद अमर पटनायक ने कहा कि ओडिशा चुनाव के इतिहास में शायद देश में भी यह पहली बार है कि मतदान समाप्ति पर घोषित मतदान प्रतिशत और अंतिम मतदान प्रतिशत में इतना बड़ा अंतर है। बीजेडी ने यह भी कहा कि उसने 2024 के चुनावों में ही लोकसभा और विधानसभा मतदाताओं की संख्या में “विसंगतियां” देखीं, हालांकि राज्य में 2004 से एक साथ चुनाव हो रहे हैं।

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6 महीने बाद क्यों लगाए चुनावी प्रक्रिया को लेकर आरोप

हालांकि, बीजेडी के कुछ लोग इसकी याचिका और चुनाव के छह महीने बाद इसके संभावित प्रभाव को लेकर संशय में हैं लेकिन अमर पटनायक ने कहा कि पार्टी आंकड़े एकत्र करने के लिए समय लेना चाहती है। उन्होंने कहा कि हमारा इरादा बिना किसी आधार के सिर्फ़ आरोप लगाना नहीं है। हमने डेटा एकत्र किया और संकलित किया तथा चुनाव आयोग के पास जाने से पहले कानूनी परामर्श किया, जिसमें समय लगा।

अमर पटनायक ने यह भी आरोप लगाया कि पिछले तीन महीनों में बार-बार अनुरोध के बावजूद जिला अधिकारियों ने बीजेडी उम्मीदवारों को फॉर्म 17सी की सभी प्रतियां नहीं दी हैं। फॉर्म 17सी में निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्येक मतदान केंद्र में मतदान का रिकॉर्ड होता है। अमर पटनायक ने कहा कि हमारे पास जो भी फॉर्म 17सी की प्रतियां थीं, हमने उनसे डेटा एकत्र किया। उन्होंने कहा कि जिला कलेक्टरों ने बाद में कहा कि वे राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के साथ परामर्श के बाद अन्य प्रतियां उपलब्ध कराएंगे।

बीजेडी सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग ने अभी तक पार्टी की याचिका पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। राज्यसभा में बीजद के नेता सस्मित पात्रा ने दावा किया कि चुनाव आयोग ने कहा है कि बीजद ने जब भी कोई बात कही है, उसके पीछे तथ्य मौजूद रहे हैं।

नवीन पटनायक ने कहा कि मुझे नहीं पता कि ईवीएम के मामले को लेकर बीजेपी इतनी उत्साहित क्यों हो रही है। अभी तक किसी ने उन पर कोई आरोप नहीं लगाया है। बीजेडी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि यह कदम पार्टी को राजनीतिक रूप से मदद कर सकता है, उनका दावा है कि जनता को चुनाव प्रक्रिया पर संदेह है। हमने अन्य विपक्षी दलों की तरह ईवीएम से छेड़छाड़ के बारे में कभी बात नहीं की।

पार्टी द्वारा कहा गया कि हमने विसंगतियों के बारे में कुछ टिप्पणियां कीं, जिनके बारे में हम पहले ही बता चुके हैं कि यह मशीन की गलती या मानवीय भूल या दोनों के संयोजन के कारण हो सकता है। ओडिशा से जुड़ी अन्य खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।