सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को झटका देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। हालांकि कोर्ट ने उन्हें निजी पेशी से छूट दे दी। साथ ही कोर्ट ने सोनिया और राहुल के बारे में उच्च न्यायालय की चुनिन्दा टिप्पणियों को हटा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट जब भी आवश्यक समझेंगे उन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए तलब कर सकते हैं।
न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की पीठ के समक्ष भाजपा नेता सुब्रमणियन स्वामी ने व्यक्तिगत रूप से पेशी से छूट देने का विरोध किया। पीठ ने कहा, ‘इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों तथा याचिकाकर्ताओं की स्थिति को देखते हुए हमारा मानना है कि निचली अदालत में उनकी उपस्थिति से सुविधा की बजाय और अधिक असुविधा ही होगी। याचिकाकर्ताओं को व्यक्तिगत पेश से छूट होगी और यह निचली अदालत किसी भी चरण में आवश्यकता पड़ने पर उन्हें उपस्थित होने के लिये तलब कर सकती है।’
कोर्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी और अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिबल, अभिषेक मनु सिंघवी और आर एस चीमा के साथ ही स्वामी की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश दिया। पीठ ने कहा, ‘जहां तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही निरस्त करने का आग्रह अस्वीकार करने के संबंध में उच्च न्यायालय के निर्णय का सवाल है तो हम इसमें हस्तक्षेप करना न्यायोचित नहीं समझते।’ हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि वह उच्च न्यायालय से सहमत नहीं है जिसमें उसने ठोस और निर्णायक निष्कर्ष दिया और आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मामले के संबंध में टिप्पणियां की हैं।
पीठ ने कहा, ‘हमारा मत है कि उच्च न्यायालय को निर्णायक निष्कर्ष नहीं दर्ज करना चाहिए था। इसे निचली अदालत पर छोड़ देना चाहिए था जो साक्ष्य दर्ज करने के बाद रिकार्ड करेगा। हम इसलिये इस मामले के विभिन्न पहलुओं के संदर्भ में उच्च न्यायालय की सारी टिप्पणियां और निष्कर्ष रिकार्ड से हटाने का निर्देश देते हैं।’