नेशनल हेराल्ड केस में सोमवार (13 जून 2022) को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सामने पेशी हुई। करीब सवा 11 बजे ईडी ऑफिस पहुंचने पर राहुल गांधी से जांच अधिकारियों ने करीब तीन घंटे तक पूछताछ की। इस दौरान राहुल से लगभग 50 सवाल पूछे गए। नेशनल हेराल्ड केस में ED ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को समन किया है, लेकिन सोनिया गांधी कोविड पॉजिटिव होने के कारण अस्पताल में भर्ती हैं, जिसके चलते ED ने उनसे पूछताछ की तारीख 23 जून तक बढ़ा दी है।
यह मामला न्यूज़पेपर नेशनल हेराल्ड से जुड़ा हुआ है जिसकी स्थापना जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इस कंपनी में राहुल गांधी डायरेक्टर और सोनिया गांधी महत्वपूर्ण शेयरधारक थीं। पंडित नेहरू के अलावा 5000 स्वतंत्रता सेनानी इसके शेयरहोल्डर्स थे। ये कंपनी दो और दैनिक समाचार पत्रों उर्दू में कौमी आवाज और हिन्दी में नवजीवन का प्रकाशन करती थी।
1942 में अंग्रेजों ने किया प्रतिबंधित: आजादी की लड़ाई के दौरान नेशनल हेराल्ड स्वतंत्रता सेनानियों की आवाज को उठाने वाला प्रमुख मुखपत्र बन गया। 1942 में अंग्रेजों ने इस समाचार पत्र को प्रतिबंधित कर दिया। 1945 में इस अखबार को फिर से शुरू किया गया। 1947 में देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद जवाहर लाल नेहरू ने अखबार के बोर्ड के अध्यक्ष से इस्तीफा दे दिया। लेकिन अखबार का प्रकाशन जारी रहा।
1938 में कांग्रेस पार्टी ने एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (AJL) बनाई थी। इसी के तहत नेशनल हेराल्ड अखबार निकाला जाता था। उस वक्त AJL पर 90 करोड़ से ज्यादा का कर्ज था, जिसे खत्म करने के लिए यंग इंडिया लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई गई। जिसमें राहुल और सोनिया गांधी की हिस्सेदारी 38-38% थी। बाकी के 24 फीसदी शेयर कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, पत्रकार सुमन दुबे, और कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के पास थे।
55 करोड़ की हेराफेरी का है आरोप: AJL की देनदारियां चुकाने के लिए यंग इंडिया को AJL के 9 करोड़ शेयर दिए गए। लेकिन शेयर की हिस्सेदारी ज्यादा होने की वजह से यंग इंडिया को मालिकाना हक मिला। AJL की देनदारियां चुकाने के लिए कांग्रेस ने जो 90 करोड़ का लोन दिया था, वह भी बाद में माफ कर दिया गया।
राहुल गांधी बने डायरेक्टर: साल 2008 में वित्तीय घाटे की वजह से अखबार का प्रकाशन एक बार फिर बंद कर दिया गया। 2011 में घाटे में चल रही इस कंपनी के होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) को ट्रांसफर कर दिए गए। यंग इंडिया लिमिटेड की शुरुआत साल 2010 में हुई। राहुल गांधी इस कंपनी के डायरेक्टर बने थे। इस कंपनी की स्थापना 5 लाख रुपए से की गई थी।
सुब्रमण्यम स्वामी ने दायर की याचिका: BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था। सुब्रमण्यम स्वामी ने गांधी परिवार पर 55 करोड़ की गड़बड़ी का आरोप लगाया था।
आरोप के मुताबिक, कांग्रेस नेताओं ने नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर कब्जे के लिए YIL ऑर्गेनाइजेशन बनाया और उसके जरिए AJL का अवैध तरीके से अधिग्रहण कर लिया। स्वामी का आरोप था कि ऐसा दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर बने हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपए की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया था।
ED की एंट्री: स्वामी ने 2000 करोड़ की कंपनी को केवल 50 लाख रुपए में खरीदने को लेकर सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत केस से जुड़े कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी। इस मामले में जून 2014 में कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया। अगस्त 2014 में ED ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। दिसंबर 2015 में दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों को जमानत दे दी।
2016 में भी इस केस में सुनवाई चलती रही। सुप्रीम कोर्ट ने सोनिया-राहुल समेत सभी नेताओं को इस मामले में निजी रूप से अदालत में हाजिर होने से छूट दे दी। अक्टूबर 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने AJL को बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस को खाली करने का आदेश दिया।
फरवरी 2019 में गांधी परिवार इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा। 5 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के इस आदेश पर रोक लगा दिया। जिसके बाद 1 जून 2022 को ED ने इस मामले में सोनिया और राहुल को हाजिर होने का नोटिस भेजा। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि ये राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित कार्रवाई है और वे झुकेंगे नहीं।