नरेंद्र मोदी जिस तरह से पटेल, गांधी या किसी और नेता का नाम भुनाने का प्रयास कर रहे हैं उससे कुछ नहीं होना। मोहनदास करमचंद गांधी के विदेश में पढ़ाई या वकालत करके लौटने की तिथि का यदि कोई औचित्य होता तो पूर्व में उसके 25, 50 और 75 साल भी जरूर मनाए जाते। इसी प्रकार यदि हम हर तारीख के चक्कर में पड़ गए तो 365 दिन ही हमारी स्वतंत्रता और उससे जुड़े किसी न किसी सेनानी से संबंधित हैं।

यदि हम एक को महत्त्व दें और दूसरे को नहीं तो उसका अपमान ही होगा। अच्छा हो, हम राजनीति से दिवंगत नेताओं को दूर रखें। यही उनका सबसे बड़ा सम्मान होगा।

यश वीर आर्य, नई दिल्ली

 

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