जम्मू कश्मीर की जनता से नजदीकी नाता जोड़ने के प्रयास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अटल बिहारी वाजपेयी की मशहूर टिप्पणी ‘कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत’ को दोहराते हुए राज्य के लिए 80 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस प्रदेश को आधुनिक, प्रगतिशील और खुशहाल बनाने में धन आड़े नहीं आएगा।

अटल बिहारी वाजपेयी के श्रीनगर में कहे गए ‘कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत’ के जुमले का हवाला देते हुए उन्होंने कश्मीर के लोगों से कहा कि मैं इन तीन मंत्रों का अनुसरण करूंगा जो कि कश्मीर के विकास के स्तम्भ हैं। श्रीनगर में शेर ए कश्मीर स्टेडियम में हुई जनसभा में उन्होंने पाकिस्तान के साथ वार्ता को बहाल करने या अलगाववादियों से बातचीत करने का कोई जिक्र नहीं किया। हालांकि राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन में भाजपा की सहयोगी पीडीपी को प्रधानमंत्री की ओर से इस बारे में कुछ कहे जाने की उम्मीद थी। प्रधानमंत्री की यात्रा से पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद ने कहा था- वाजपेयी ने पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था और हमारे 10 साल शांतिपूर्ण बीते। अगर भारत को बढ़ना है तो बड़े भाई के रूप में उसे छोटे भाई (पाकिस्तान) की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाना होगा।

मोदी ने कहा कि कश्मीर पर मुझे इस दुनिया में किसी की सलाह या विश्लेषण की जरूरत नहीं है। अटलजी के तीन मंत्र आगे बढ़ने में मददगार होंगे। कश्मीरियत के बिना हिंदुस्तान अधूरा है। यह हिंदुस्तान की आन, बान और शान है। इसी धरती से सूफी परंपरा उभरी है, जिसने हमें जोड़ने और संबल के महत्त्व को समझाया है।

प्रधानमंत्री बनने के बाद कश्मीर में अपनी दूसरी जनसभा में मोदी ने 80 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की और कहा कि यह पूर्णविराम नहीं है, दिल्ली का खजाना ही नहीं, हमारे दिल भी आपके लिए हाजिर हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार, जम्मू कश्मीर के लिए 80 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा करती है। मेरी दिली इच्छा है कि इस राशि का इस्तेमाल आपके भाग्य को बदलने के लिए हो। इस राशि का इस्तेमाल राज्य को नए, आधुनिक, प्रगतिशील और खुशहाल जम्मू कश्मीर में बदलने के लिए होगा। जितनी तेजी से आप यह राशि खर्च करेंगे, उतना सटीक विकास होगा और खर्च की हर पाई पाई का जवाब देंगे। इसलिए यह बात लिखित में ले लीजिए कि यह 80 हजार करोड़ रुपए का पैकेज पूर्ण विराम नहीं है, बल्कि शुभ प्रारंभ है।

मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और जितेंद्र सिंह और पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के साथ मंच साझा करते हुए मोदी ने कहा कि पिछले दो दशकों में दो पीढ़ियों के सपने बर्बाद हो गए। लेकिन मैं आशावादी हूं और इस बात में विश्वास करता हूं कि कोई भी काम जज्बे से किया जाए तो आगे बढ़ा जा सकता है, सपने साकार किए जा सकते हैं और इस राज्य को आधुनिक और विकसित राज्य बनाया जा सकता है।

बाद में जम्मू में प्रधानमंत्री ने बगलिहार बिजली परियोजना के दूसरे चरण का उद्घाटन करते हुए कहा कि 1947 के विस्थापित हों या कश्मीर से विस्थापित पंडित… समय की मांग है कि सभी के पुनर्वास और सम्मान की जिंदगी की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को जो मुश्किलें झेलनी पड़ी, वो देश के अन्य राज्यों को नहीं झेलनी पड़ी। 1947 में लाखों की तादाद में विस्थापित (तत्कालीन पश्चिमी पाकिस्तान से) इस भूभाग पर आए। पंद्रह से बीस फीसद जनसंख्या यहां विस्थापित के रूप में है। यह छोटी वेदना नहीं है, बड़ी पीड़ा है।

आज घोषित पैकेज को राज्य के इतिहास का सबसे बड़ा पैकेज बताते हुए मोदी ने कहा कि 80 हजार करोड़ के इस पैकेज में जम्मू कश्मीर की सभी समस्याओं को हल करने का प्रावधान है। इसमें 1947 से अब तक के विस्थापितों का पुनर्वास भी शामिल है। 1947 में तत्कालीन पश्चिमी पाकिस्तान से लगभग 55 हजार परिवार शरणार्थियों के रूप में यहां आए थे। उन्हें राज्य के नागरिक के रूप में कोई मान्यता नहीं दी गई, जिसके चलते वे न तो राज्य में जमीन की खरीद फरोख्त कर सकते हैं और न ही सरकारी नौकरी पा सकते हैं। इसके अलावा राज्य में आतंकवाद के बढ़ने पर 1990 के दशक में करीब 59 हजार कश्मीरी पंडितों के परिवार घाटी छोड़ गए।

भारतीय प्रशासनिक सेवाओं, आइआइटी और आइआइएम में राज्य के युवाओं के बेहतर प्रदर्शन पर प्रसन्नता जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से इन परीक्षाओं में राज्य के युवा अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। यह ताकत है कश्मीर के नौजवानों की। इसे मैं पहचानता हूं और जिसे मैं पहचानता हूं, उसके लिए सब कुछ करने को तैयार रहता हूं।

इस मौके पर मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कहा कि प्रधानमंत्री मार्गदर्शक बल हैं जो जम्मू कश्मीर का इतिहास और नियति बनने को इच्छुक हैं। देश में कथित तौर पर असिहष्णुता की बढ़ती घटनाओं के बारे में सईद ने स्पष्ट रूप से नफरत की दीवारों को गिराने की बात की। उन्होंने उकसावे के बावजूद बहुलवादी मूल्यों पर कायम रह कर राज्य के शांतिप्रिय लोगों द्वारा पेश किए गए उदाहरण की सराहना की।

सईद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 2003 के श्रीनगर दौरे की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया जब उन्होंने इसी स्थान से पाकिस्तान के साथ मित्रता का हाथ बढ़ाया था। मुख्यमंत्री ने मोदी से इस्लामाबाद के साथ सतत और सार्थक बातचीत के लिए पहल करने का मोदी से आग्रह किया ताकि क्षेत्र में स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त हो सके। उन्होंने कहा कि वाजपेयी की शांति पहल से भारत पाक संबंधों में करीब एक दशक तक गर्माहट सुनिश्चित हुई। बड़े भाई को छोटे भाई से मिलना ही होगा।

कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि वे गरिमा और सम्मान के साथ समुदाय की कश्मीर वापसी का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि हम कश्मीरी पंडितों के लिए इजराइली टाइप की बस्तियों का नहीं बल्कि कश्मीर के सामाजिक परिवेश में उनके वृहद एकीकरण का समर्थन करते हैं। उन्होंने राज्य में कोर क्षेत्रों के विकास के लिए समर्थन की खातिर केंद्र सरकार की सराहना की। उन्होंने जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग को चार लेन का बनाने के लिए 2017 की समयसीमा तय करने के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया।

हम तो हैं निराश : उमर अब्दुल्ला

जम्मू-कश्मीर ‘निराश’ है क्योंकि प्रधानमंत्री ने रैली में वह बात नहीं की जिसे लोग सुनना चाहते थे। वित्तीय पैकेज से ‘राज्य में राजनीतिक मुद्दों का समाधान नहीं होगा।’ हमें (मोदी के दौरे से) बहुत ज्यादा उम्मीदें शायद नहीं लगानी चाहिए थीं। पैकेज अच्छे हैं। पर यहां बक्शी गुलाम मोहम्मद से लेकर आज तक शायद ही कोई मुख्यमंत्री रहा हो जिसे (केंद्र से) पैकेज नहीं मिला हो। कश्मीर मुद्दे के राजनीतिक समाधान की जरूरत है।

राजनीतिक हथकंडा : कांग्रेस

पैकेज की घोषणा ‘आंखों में धूल झोंकने और अपने गठबंधन सहयोगी के तुष्टीकरण का राजनीतिक हथकंडा’ है। पैकेज में स्पष्टता की कमी है और मानवीय राहत व बाढ़ प्रभावितों के पुनर्वास के लिए कुल राशि में से केवल 8,000 करोड़ रुपए ही तय किए गए हैं। यह एक क्रूर मजाक है। यह बाढ़ पीड़ितों के घावों पर नमक छिड़कने की तरह है। प्रधानमंत्री ने कश्मीर मुद्दे के राजनीतिक पहलू को छुआ तक नहीं, जो निराशाजनक है।

मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद रहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से पहले एहतियाती उपायों के तहत कश्मीर घाटी में शनिवार सुबह से ही मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं। अधिकारियों ने बताया कि हाई प्रोफाइल दौरे को देखते हुए उठाया गया यह एहतियाती उपाय है। हालांकि बीएसएनएल की ब्रॉडबैंड सेवाएं जारी रहीं।