Narendra Modi Cabinet: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में बिहार ने एनडीए को काफी मजबूती दी है। हालांकि गठबंधन पिछली बार की तरह 40 में से 39 सीटें नहीं जीत सका लेकिन मुश्किल दौर में 40 में से 30 सीट जीतकर एनडीए ने यहां बेहतरीन प्रदर्शन किया है। इसके चलते बिहार से आने वाले 8 नेताओं को पीएम नरेंद्र मोदी के मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है। इसमें तीन कैबिनेट, और पांच राज्यमंत्री शामिल हैं लेकिन अगर गौर करें तो एनडीए के मंत्रियों के चयन से क्षेत्रीय और सामाजिक असंतुलन साफ नजर आता है।
दिलचस्प बात यह है कि उत्तरी बिहार से छह मंत्री बनाए गए हैं, जबकि राज्य के दक्षिणी और मध्य भाग से केवल एक-एक मंत्री हैं ऐसा लगता है कि जैसे एनडीए ने और विशेष रूप से बीजेपी ने अपने मूल वैश्य (बनिया) मतदाता को नजरअंदाज कर दिया है, जैसा कि एनडीए ने ओबीसी कुशवाहा समुदाय को नजरअंदाज किया है, जिसने भाजपा के पीछे एकजुट होने का संकेत दिया है।
किसे-किसे मिला मंत्रालय
इस मोर्चे पर गठबंधन का आरजेडी से मुकाबला हो सकता है। एनडीए के कुशवाहा चेहरा उपेन्द्र कुशवाहा काराकाट से हारने के अलावा, पड़ोसी सीटों यानी आरा, बक्सर, और सासाराम सीट पर भी बीजेपी के प्रत्याशी हार गए। इन सभी में अच्छी खासी कुशवाहा आबादी है।
केंद्रीय मत्रिपरिषद में बिहार के साथ क्षेत्रीय असंतुलन स्पष्ट रूप से दिख रहा है क्योंकि दो मंत्री यानी जेडीयू के रामनाथ ठाकुर और चुनाव जीतकर पहुंचे बीजेपी सांसद नित्यानंद राय समस्तीपुर और उजियारपुर के इलाके से आते हैं। बीजेपी के सांसद और ब्राह्मण चेहरा सतीश चंद्र दुबे, उत्तर बिहार के चंपारण से आते हैं। हाजीपुर से चिराग पासवान चुनाव जीतकर पहुंचे हैं।
बीजेपी के गिरिराज सिंह बेगूसराय से आते हैं, वे उत्तर क्षेत्र के वह छठवें मंत्री हैं। बता दें कि गंगा नदी राज्य को उत्तर बिहार और अन्य क्षेत्रों में विभाजित करती है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रमुख और गया के सांसद जीतन राम मांझी मध्य बिहार से एकमात्र मंत्री हैं। इसी तरह, राजीव रंजन सिंह, जिन्हें ललन सिंह के नाम से जाना जाता है, मध्य बिहार से जेडी(यू) के सांसद हैं। मुंगेर दक्षिण बिहार से एकमात्र मंत्री हैं।
सामाजिक असंतुलन कहां और कैसे?
एनडीए ने मांझी और पासवान को शामिल करके दलितों को भी प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है। हालांकि एक बीजेपी नेता ने माना कि मंत्रियों की पसंद बेहतर क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन को दर्शा सकती है। नेता ने कहा है कि हमारे सभी चार मंत्री ट्रांस-गंगा क्षेत्र से हैं। हम एक वैश्य को भी शामिल कर सकते थे।
सामाजिक असंतुलन एनडीए के मंत्रियों के चयन में भी स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। जेडी(यू) ने जहां पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर को अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) कार्ड खेलने के लिए चुना तो वहीं बीजेपी ने OBC यादव वोटों पर नजर रखते हुए राय को बरकरार रखा, जिन्हें राजद का पारंपरिक मतदाता माना जाता है। बीजेपी ने मल्लाह नेता और मुजफ्फरपुर सांसद राज भूषण चौधरी (निषाद) को मंत्री बनाया गया।
इतना ही नहीं, जेडी(यू) और भाजपा दोनों ने एक-एक भूमिहार (लल्लन सिंह और गिरिराज सिंह) को केंद्र में भेजा है। पटना साहिबसांसद एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद जो कायस्थ समुदाय से हैं, उनको कोई मंत्रालय नहीं दिया गया।
जेडी(यू) के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी को तीन पदों की उम्मीद थी, लेकिन केवल दो ही मिले। नेता ने कहा है कि अगर हमें एक और पद मिलता है, तो यह कुर्मी या कुशवाहा समुदाय को मिलने की संभावना है। हमारी पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक ललन सिंह कैबिनेट में जगह पाने के हकदार थे, जबकि ठाकुर की पदोन्नति एक अच्छा विकल्प है क्योंकि यह कर्पूरी ठाकुर के प्रतीकवाद को दर्शाता है।