Lok Sabha Elections 2024: बात लगभग साल 1982 की है। आंध्र प्रदेश की राजनीति में बड़ी सियासी उठापटक थी। इस बीच, फिल्मी जगत से राजनीति में एंट्री मारने वाले नंदमुरी तारक रामा राव यानी एनटी रामाराव ने तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना की। ऐसा कहा जाता है कि एनटीआर ने राजीव गांधी से बदला लेने के लिए यह पार्टी बनाई थी।

साल 1983 में विधानसभा का चुनाव होना था। इस इलेक्शन से पहले 29 मार्च, 1982 को नंदमुरी ने पार्टी का गठन करके पूरे राज्य का रथ से दौरा किया था। यह यात्रा करीब 40,000 किलोमीटर की थी। इतना ही नहीं उन्होंने एक बार पूरे राज्य का चक्कर लगाया बल्कि चार बार वह पूरे राज्य में घूमें। जब साल 1983 में जनवरी के महीने में चुनाव आयोग के द्वारा विधानसभा चुनावों की घोषणा होने के बाद ही एनटीआर ने अपनी रथ यात्रा को रोक दिया था और हैदराबाद में वापस आ गए थे।

सत्ताधारी कांग्रेस को दिया बड़ा झटका

इस रथ यात्रा ने उन्हें राजनीति में कामयाबी के शिखर पर पहुंचा दिया था। 294 सीटों वाली विधानसभा में उन्हें प्रचंड बहुमत के साथ 201 सीटे मिलीं। सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को एक बहुत बड़ा झटका लगा था। उसको करीब 115 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। एनटीआर का नाम गिनिज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज कर लिया गया। एनटीआर ने अपनी पुरानी शेवरले वैन को चैतन्य रथ नाम के एक रथ में तब्दील कर दिया था। इसमें घूमने वाली कुर्सी और टेबल जैसी जरूरी चीज और आराम करने की तमाम सुविधाएं मौजूद थी। एक खास बात यह भी है कि एनटीआर रथ यात्रा में इतने मशगूल हो गए थे कि वह अपने दो बेटों की शादी में भी शामिल नहीं हो सके थे।

कांग्रेस नेता ड्रामाराव कहकर पुकारते थे

सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के नेता एनटीआर का मजाक भी उड़ाया करते थे और उन्हें ड्रामाराव के नाम से पुकारते थे। एनटीआर उस चैतन्य रथम के ऊपर सवार होकर लोगों को भाषण दिया करते थे। वह राज्यभर में जब दौरे पर निकलते थे तो कुछ अहम जानकारियां एक डायरी में लिख लिया करते थे। जहां पर भी 20 लोग इकट्ठा दिख जाया करते थे। बस वे वहीं पर अपना रथ रोककर भाषण शुरू कर देते थे। फिर धीरे-धीरे लोगों की वहां पर भीड़ इकट्ठा होनी शुरू हो जाती थी।

राज्य में पहली गैर कांग्रेसी सरकार बन सकी

जब एनटीआर का रथ गुजरा करता था तो उस गाड़ी पर तेलुगु के गीत बजा करते थे। इसमें मातृभूमि का गुणगान होता था। इन गीतों को सुनकर लोगों को काफी अच्छा लगता था। खेत में काम कर रहे लोग अपना काम छोड़कर उनके रथ को देखने के लिए आ जाते थे। इतना ही नहीं, कई बार तो ऐसा भी देखा गया है कि लोग अपने नेता को देखने के लिए पहले से ही सड़क के किनारे पर जमा हो जाते थे और उनका इंतजार किया करते थे। महिलाएं उनकी आरती भी उतारा करती थीं। इतना ही नहीं वे अपने बच्चे का नामकरण करने के लिए भी उनसे कहा करती थीं। इस रथ यात्रा की पॉपुलरिटी ने एनटीआर को ना केवल आंध्र प्रदेश में पैर जमाने का मौका दिया। बल्कि राज्य में पहली गैर कांग्रेसी सरकार भी बन सकी।