नागालैंड में 14 सिविलयन की सेना के जवानों के हाथों हुई हत्या पर लोगों का रोष बढ़ता जा रहा है। कोन्यक यूनियन ने सोमवार को फैसला लिया कि सेना के साथ वो किसी भी तरह का वास्ता नहीं रखेंगे। उनका कहना है कि निर्दोष नागरिकों की मौत को भुलाया नहीं जा सकता। कोन्यक यूनियन कोन्यक नागा ट्राइब का एक संगठन है। ये लोग मोन में रहते हैं।

बीती 5 दिसंबर को नागालैंड के मोन जिले में एक तथाकथित उग्रवाद विरोधी अभियान और जवाबी हिंसा में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 आम नागरिकों और एक सैनिक की मौत हो गई थी। सैनिकों की आम लोगों पर फायरिंग के मामले पर अमित शाह ने संसद में कहा था कि सेना को ओटिंग गांव में उग्रवादियों के मूवमेंट की जानकारी मिली थी। 21 कमांडोज ने संदिग्ध इलाके की घेरेबंदी की थी।

शाह के मुताबिक इसी दौरान एक वाहन वहां पहुंचा। उसे रुकने के लिए कहा गया। लेकिन उन लोगों ने भागने की कोशिश की। सैनिकों को लगा कि उस गाड़ी में शायद उग्रवादी थे। उन्होंने फायरिंग कर दी। इस फायरिंग में गाड़ी में बैठे 8 में से 6 लोगों की मौत हो गई थी। उन्होंने कहा कि इसकी खबर मिलते ही ग्रामीणों ने सेना की यूनिट को घेर लिया।

गोलीबारी में बचे शीवांग का कहना है कि हमें रुकने का संकेत नहीं दिया गया था। उन्होंने हमें सीधे मार डाला। हम भागने की कोशिश नहीं कर रहे थे। हम बस गाड़ी में थे। शिवांग की कोहनी और छाती पर गोली लगी है। शिवांग के अलावा 30 वर्षीय येहवांग हैं, जिसके कान के पास एक गोली लगी है।

उधर, मोन जिले के लोगों ने शाह के बयान के विरोध में एक विशाल रैली आयोजित की। लोगों ने कहा कि शाह ने झूठ बोला है। उन्हें माफी मांगनी चाहिए। रैली के आयोजक उपाध्यक्ष होनांग कोन्यक ने कहा कि शाह का बयान गलत है। उन्हें माफी मांगने के साथ हमारी मांगों को पूरा करना चाहिए। उनका कहना है कि शाह के बयान को संसद के रिकार्ड से तुरंत हटाकर AFSPA एक्ट को वापस लिया जाना चाहिए।