Lok Sabha Chunav 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि अगर तेलंगाना में बीजेपी सत्ता में आती है तो वह धर्म आधारित आरक्षण को खत्म कर देगी। वहीं उनके इस बयान के बाद आंध्र प्रदेश में उनकी सहयोगी पार्टी टीडीपी मुश्किल में हैं। इसकी वजह यह है कि तेलंगाना की तरह ही आंध्र प्रदेश में भी 4 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण है। वहीं आंध्र के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू ने अन्नामया में एक रैली के दौरान कहा कि यह मुस्लिम आरक्षण बरकरार रहेगा।
दूसरी ओर आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP सोशल मीडिया पर बीजेपी नेताओं के वीडियो के जरिए मुस्लिम आरक्षण को लेकर विपक्ष पर हमला बोल रही है। इसको लेकर टीडीपी नेता महासचिव और चंद्रबाबू नायडू के बेटे एन लोकेश नायडू ने कहा कि टीडीपी हमेशा से एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी रही है और रहेगी। हम किसी का कोटा नहीं छीनेंगे। इसके बारे में किसी को चिंतित नहीं होना चाहिए।
चंद्रबाबू नायडू ने हमेशा कहा है कि सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों को आरक्षण का लाभ मिलना ही चाहिए। लोकेश ने कहा है कि टीडीपी केवल देगी, हम कभी किसी से कुछ नहीं लेंगे। टीडीपी ने दशकों पहले अल्पसंख्यक कल्याण को प्राथमिकता दी थी इसलिए मुस्लिम कोटा हटाने का सवाल ही नहीं उठता।
बीजेपी अकेले सत्ता में आने पर ही ले सकती है फैसला
इस दौरान उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के छेड़छाड़ किए गए वीडियो का जिक्र करते हुए कहा के खूब फेक वीडियो वायरल हो रहे हैं, लेकिन मुझे यकीन है कि लोग यह पता लगा सकते हैं कि कौन सा नकली है और वास्तविकता क्या है। चंद्रबाबू नायडू के बेटे ने कहा कि बीजेपी अगर अकेले में सत्ता में आती है, तभी वह मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर कोई फैसला कर सकती है, टीडीपी के साथ गठबंधन में ऐसा कोई फैसला नहीं हो सकता है।
केंद्र में फिर बनेगी NDA की सरकार
उन्होंने कहा कि जनता के बीच यह बात स्पष्ट हैं कि एनडीए की सरकार केंद्र में तीसरी बार आ रही है। वे यह भी समझते हैं कि आंध्र प्रदेश अब जिस स्थिति में है, उसे केंद्र के समर्थन की आवश्यकता होगी, चाहे वह केंद्रीय धन हो। चाहे प्रतिद्वंद्वी का प्रचार कुछ भी हो, आंध्र प्रदेश में एनडीए के लिए भारी समर्थन मौजूद है।
लोकेश नायडू ने राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि 2019 में जगन को मुख्य रूप से उनकी ‘पदयात्रा’ और उस समय किए गए वादों के कारण सहानुभूति वोट मिला। वहीं अब पांच साल बाद नौकरियां पैदा करने से लेकर निवेश लाने या राज्य के विकास के बारे में कोई भी वादा पूरा नहीं कर पाई है।