Mustafabad Muslim Dominated Assembly Constituency: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण में नाराजगी के बीच भाजपा ने मुस्तफाबाद से मोहन सिंह बिष्ट को मैदान में उतारा है। करावल नगर से बीजेपी के निवर्तमान विधायक मोहन सिंह बिष्ट (Mohan Singh Bisht) को उनकी मौजूदा सीट से टिकट नहीं दिया गया। यहां से कपिल मिश्रा को टिकट मिला है। इस बात से वह नाराज थे।
मुस्तफाबाद से चुनाव लड़ेंगे मोहन सिंह बिष्ट
अपने नाम के टिकट घोषणा से पहले मोहन सिंह बिष्ट ने कहा था कि पार्टी जो कहेगी वही फैसला सर्वोपरि होगा और हम सब मानेंगे। पार्टी ने अगर कह दिया कि मुझे अगर किसी और सीट पर लड़ना है तो जाहिर है आलाकमान ने मेरे अंदर काबिलियत देखी होगी। हो सकता है इससे पार्टी को लाभ मिले। पार्टी के फायदे के लिए मैं अपने 25 साल किनारे कर दूंगा। मैं करावल नगर सीट से 5 बार से लगातार विधायक हूं। अब मैं जिस जगह पर जा रहा हूं (मुस्तफाबाद), वो भी मेरी ही सीट है। 2008 में वह सीट बदल गई थी, लेकिन 15 साल से वहां के लोगों से मेरा जुड़ा नहीं रहा इसलिए दुख होता है।
बीजेपी आलाकमान ने दिया था भरोसा
मोहन सिंह बिष्ट ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहा कि बीजेपी उन्हें मुस्तफाबाद भेज रही है। वह इस सीट से साल 2008 तक 10 साल के विधायक रहे हैं। विपरीत परिस्थितियां और जातीय समीकरण ठीक न होने की वजह से बीजेपी यहां से हार रही थी। इसलिए मेरी पार्टी ने मुझ पर विश्वास जताया है और मैं यह सीट जीत कर दिखाऊंगा।
मोहन सिंह बिष्ट ने 2020 में आप के दुर्गेश पाठक को हराया था, बीजेपी ने 2015 में भी उन्हें टिकट दिया था लेकिन तब वह कपिल मिश्रा से हार गए थे। उस वक्त कपिल मिश्रा आप के सदस्य थे। कपिल मिश्रा ने 2015 में बड़े वोटों के अंतर से मोहन सिंह बिष्ट को हराया था।
कपिल मिश्रा के बारे में क्या बोले मोहन बिष्ट
करावल नगर विधायक ने कहा कि मेरा कपिल मिश्रा से मतभेद रहा है, यह बात स्वाभाविक है। मेरी जगह कोई भी होता तो ऐसा ही होता। मेरा जनता से बहुत लगाव है। अब सीट छोड़नी पड़ेगी तो दुख होता है। उस दुख में मैंने कुछ बातें कह दी थीं, लेकिन बीजेपी के फैसले को सर्वोपरि मानते हुए अब मैं मुस्तफाबाद से ही चुनाव लड़ूगा।
इससे पहले बिष्ट ने विधायक ने कहा था कि वह निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ेंगे बल्कि बीजेपी के सिंबल पर ही चुनाव मैदान में उतरेंगे। उन्होंने कहा कि मैं तबसे इस पार्टी से जुड़ा हूं जब कुछ लोग पैदा भी नहीं हुए थे। 1988 में मैंने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की थी। पार्टी के विश्वास के अनुरूप मैंने खरा उतरने का पूरा प्रयास किया। इस पार्टी से मेरा लंबा लगाव है। निश्चित रूप से दुख होता है। यह कह कर वह रो पड़े।
भावुक होकर मोहन सिंग बिष्ट बोले कि जो व्यक्ति मेहनत करता है, लेकिन फिर मन मुताबिक रिजल्ट ना आए तो बहुत दुख होता है, लेकिन पार्टी जो कहेगी मैं वही करूंगा। जिस खेत को हमने जोता, जिस बाग में हमने बागवानी लगाई है, वहां नुकसान हो ये कोई नहीं सोच सकता. दिल्ली में निश्चित रूप से बीजेपी की सरकार बनेगी और मैं सरकार में आऊंगा।
बता दें, मुस्तफाबाद दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों में एक है और मुस्लिम आबादी के हिसाब से सबसे ऊपर आने वाली विधानसभाओं में शुमार है। यहां लगभग 40 फीसदी आबादी मुस्लिम समुदाय की है, इसलिए कई बार मुस्लिम वोटर निर्णायक भी साबित होते हैं।
40% मुस्लिम वोट बैंक पर AAP की नजर
अरविंद केजरीवाल ने 9 दिसंबर को ही अपने पुराने विधायक को बदलकर इस सीट से आम आदमी पार्टी में खास माने जाने वाले आदिल अहमद खान को टिकट दिया। केजरीवाल की नजर मुस्लिम बहुल 40% वोटबैंक पर है। कांग्रेस ने पिछली बार पूर्व विधायक रहे हसन अहमद के बेटे अली मेहंदी को चुनाव लड़वाया था। इस बार भी उम्मीद है कि अली मेहंदी को ही कांग्रेस फिर से टिकट देगी। इसका मतलब यह हुआ कि आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और AIMIM तीनों के उम्मीदवार मुस्लिम समुदाय से ही आएंगे।
ओवैसी ने बढ़ाई केजरीवाल की मुश्किलें
ताहिर हुसैन के मैदान में उतरने से मामला जबरदस्त तरीके से पोलराइज भी होगा और ऐसा माना जा रहा है कि तीन मुस्लिम उम्मीदवारों की वजह से 60% हिंदू आबादी वाले मुस्तफाबाद में बीजेपी का पलड़ा भारी हो सकता है। पहले भी 2015 में जब बीजेपी महज 3 सीटें जीती थी, तब मुस्तफाबाद सीट बीजेपी के जगदीश प्रधान ने जीती थी। यानी इतिहास उठाकर देखें तो ओवैसी ने सबसे ज्यादा मुश्किल केजरीवाल की बढ़ा दी है।
ओवैसी दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस दोनों का खेल बिगड़ने के लिए इस बार करीब 70 में से 2 दर्जन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सकते हैं। इनमें लगभग 6 सीटें तो वह हैं, जहां पर मुस्लिम आबादी काफी ज्यादा है।
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