राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के मौके पर हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने तीन दिन की व्याख्यान श्रृंखला आयोजित की थी। इससे एक सप्ताह पहले RSS से जुड़े और आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाले 6 संगठनों की बंद कमरे में एक बैठक हुई। इसमें लगभग 80 प्रतिनिधि शामिल हुए और देश के सामाजिक और आर्थिक हालात पर स्लाइड्स दिखाई गईं।
अहम बात यह है कि इसमें विशेष तौर पर पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मार्गदर्शक मंडल में शामिल मुरली मनोहर जोशी को भी बुलाया गया था।
बैठक में मुरली मनोहर जोशी ने वामपंथी अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अमृत्य सेन के तर्कों का हवाला देते हुए कहा कि आर्थिक विकास किसी भी देश का एकमात्र मकसद नहीं हो सकता। जोशी ने बैठक में लगभग 70 स्लाइड्स पेश की।
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अनुभवी नेता जोशी ने देश में आय असमानता और भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी को लेकर चिंता जताई जबकि दूसरी ओर मोदी सरकार जल्द भारत के दुनिया की तीसरी बड़ी इकनॉमी बनने का दम भर रही है।
मोहन भागवत ने की जोशी की तारीफ
बैठक में मौजूद लगभग एक दर्जन डेलिगेट्स ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत की। उनके मुताबिक, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जोशी की तारीफ की और कहा, “जोशी जी ने सब कुछ कह दिया है।” इस बैठक का आयोजन 19-20 अगस्त को भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने किया था।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग के विभागाध्यक्ष रहे मुरली मनोहर जोशी ने जो मुख्य बातें कही, उनमें यह थी कि 2021 में भारत की आबादी के सबसे धनी 10% लोगों के पास कुल घरेलू संपत्ति का 65% हिस्सा था। उन्होंने कहा कि भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी केवल 2,878.5 डॉलर है जबकि जापान की 33,955.7 डॉलर है, भले ही भारत जापान को पीछे छोड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया हो।
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भारतीय जनसंघ (बीजेएस) के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय और उनके ‘एकात्म मानववाद’ के विचार पर बात करते हुए जोशी ने कहा कि विदेशों पर ज्यादा निर्भरता भारत के हित में नहीं है। दीनदयाल उपाध्याय का हवाला देते हुए जोशी ने कहा, “हम कृषि और स्वदेशी उद्योगों पर ध्यान केंद्रित करने में विफल रहे जबकि ऐसे विदेशी सहयोग का स्वागत करते रहे जो हमारे हितों को कमजोर करते हैं।”
नशीली दवाओं के खतरे, बढ़ती आत्महत्याओं पर जताई चिंता
जोशी ने नशीली दवाओं के खतरे, बढ़ती आत्महत्याओं और प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान पर बात की और जलवायु परिवर्तन का भी जिक्र किया। जोशी ने कहा कि हिमालय में सड़कों का स्थिर होना उन्हें चौड़ा करने से कहीं ज्यादा जरूरी है।
पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री जोशी ने नशीली दवाओं के खतरे के बारे में कहा कि 10 से 17 साल की उम्र के 1.58 करोड़ बच्चे नशीले पदार्थों के आदी हैं। एम्स के एक अध्ययन से पता चला है कि दिल्ली के एक-तिहाई सड़क पर रहने वाले बच्चे ड्रग्स और शराब का सेवन करते हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान का हवाला देते हुए बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि 7% भारतीय नशीले पदार्थों के जाल में फंसे हुए हैं।
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AI, NCRB के आंकड़ों पर की बात
जोशी ने कहा कि NCRB के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में कुल आत्महत्याएं 2018 में 1.34 लाख से बढ़कर 2022 में 1.70 लाख हो गई हैं। उन्होंने कहा कि 2019 और 2021 के बीच, 35,950 छात्रों ने आत्महत्या कर ली जबकि आईआईटी, आईआईएम और केंद्रीय विश्वविद्यालयों जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में 2018 से 2023 तक 98 छात्रों ने आत्महत्या की।
जोशी ने कहा कि AI समाज में असमानता को और बढ़ा सकता है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी आर्थिक मॉडल विफल हो गया है।
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बैठक में बीएमएस के अलावा भारतीय किसान संघ, सहकार भारती, ग्राहक पंचायत, स्वदेशी जागरण मंच और लघु उद्योग भारती के प्रतिनिधि मौजूद थे। संघ की ओर से मोहन भागवत और दत्तात्रेय होसबाले के अलावा, आरएसएस के सह-सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, सीआर मुकुंद, अरुण कुमार, राम दत्त चक्रधर, अतुल लिमये और आलोक कुमार भी बैठक में मौजूद रहे।
बीजेपी के बड़े नेता भी रहे मौजूद
जोशी के साथ RSS के विचारक एस. गुरुमूर्ति, बीजेपी महासचिव (संगठन) बीएल संतोष, बीजेपी महासचिव अरुण सिंह, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल और उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना व कुछ अन्य लोग भी विशेष आमंत्रित सदस्य थे।
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