Mumbai Aarey Forest & Trees News in Hindi: मुंबई में आरे पेड़ों की कटाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। कॉलोनी में ‘मेट्रो कार शेड’ बनाने के लिए हो रही पेड़ों की कटाई पर कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है। कहा है कि अब कुछ भी न काटा जाए। ऐसे में यह पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पर्यावरण प्रेमियों के लिए किसी राहतमंद खबर से कम नहीं है और ऐसा होने के पीछे एक नाम मुख्यतः जिम्मेदार है। ऋषभ रंजन…जी हां। यह लॉ (फोर्थ ईयर, दिल्ली में) के छात्र हैं। इन्होंने ही आरे पेड़ों की कटाई के मसले पर चिंता जताते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) रंजन गोगोई को खत लिखा था।
रंजन ने यह चिट्ठी छात्र प्रतिनिधिमंडल की ओर से लिखी थी, जिसमें उन्होंने वहां पर पेड़ों की कटाई रोकने के लिए मांग की थी। दरअसल, मुंबई मेट्रो की लाइन 3 के लिए ग्रीन जोन में कार शेड बनाया जाना है, जिसके लिए मुंबई नगर निगम ने लगभग 2600 पेड़ काटने के निर्देश पर हरी झंडी दे दी थी। यही मामला हाईकोर्ट में पहुंचा, पर बंबई हाईकोर्ट ने आरे कॉलोनी को जंगल मानने से मना किया और निगम के फैसले पर ऐक्शन लेने से इन्कार कर दिया था। इसी के बाद रंजन ने जनहित याचिका दाखिल की थी।
एक तरह से देखें तो रंजन ने वह कर दिखाया जो शिव सैनिक की अच्छी खासी फौज न कर पाई। उन्होंने Rediff.com को इस बारे में बताया, “आरे में सिर्फ केवल पेड़ों की बात नहीं है, बल्कि वहां पर चिड़िया और अन्य फ्लोरा और फॉना भी है। हर भौगोलिक जगह के अपने परिस्थितिविज्ञान संबंधी निहितार्थ होते हैं।” यह पूछे जाने पर कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से खुश हैं? उन्होंने कहा कि वह इसके लिए कोर्ट के शुक्रगुजार हैं। आरे में पेड़ काटना अनैतिक है।
इस सवाल पर कि आप दिल्ली में रहते हैं और यह मामला मुंबई का है। फिर भी आपने इसे सुप्रीम कोर्ट में उठाया? लॉ स्टूडेंट ने इस पर कहा- हम कानून के छात्र हैं और हम मुंबई के दोस्तों के संपर्क में हैं। हम निगम की ऐसी हरकतों के खिलाफ हैं, जिन्होंने आरे कॉलोनी में पेड़ काटे।

