प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधते हुए कहा था कि “लाल टोपी वाले ” उत्तर प्रदेश के लिए “रेड अलर्ट” की तरह थे, इसके एक दिन बाद पार्टी के संस्थापक नेता मुलायम सिंह यादव और राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित सपा सांसद अखिलेश यादव ने बुधवार (8 दिसंबर) को लाल टोपी पहनकर लोकसभा में शिरकत की।

सपा के आधिकारिक हैंडल ने लाल टोपी में सपा नेताओं की तस्वीरें और मंगलवार (7 दिसंबर) को अखिलेश की रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ वाली रैली का एक वीडियो ट्वीट किया, जिसमें कैप्शन था- “ये क्रांतिकारी लाल रंग की टोपियां।”

चमकदार लाल टोपियां सपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को यूपी के भीड़भाड़ वाले राजनीतिक परिदृश्य में तुरंत पहचानने का काम करती हैं। पार्टी का मानना है कि इससे एक साहसिक सामाजिक संदेश झलकता है। अखिलेश ने अपने ट्विटर हैंडल पर सपा के चुनाव चिन्ह साइकिल के साथ अपनी एक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर पोस्ट की है, जिसमें वह चमकदार लाल टोपी के साथ युवाओं के एक समूह के साथ बातचीत करते हुए दिख रहे हैं।

मुलायम को टोपी पसंद नहीं
मुलायम सिंह यादव ने 4 अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी की स्थापना की। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि खुद मुलायम को कभी भी किसी भी रंग की टोपी पहनने का शौक नहीं था, और केवल कभी-कभार खास अवसरों पर ही लाल टोपी पहनते थे। हालांकि, 1998 में, उन्होंने अपनी पार्टी के एक प्रमुख संगठन, युवजन सभा को लाल टोपी पहनने का सुझाव दिया।

सपा के राष्ट्रीय सम्मेलनों की तस्वीरें पार्टी की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। उसी साल 4 नवंबर को हुए सपा के पहले राष्ट्रीय अधिवेशन की तस्वीर में मंच पर कोई भी व्यक्ति लाल टोपी में नजर नहीं आ रहा है. हालांकि, दो व्यक्ति – उनमें से एक मुलायम के ठीक पीछे बैठे हैं – को सफेद गांधी टोपी पहने देखा जा सकता है।

11 और 12 अक्टूबर, 1994 को लखनऊ में हुए सपा के दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन की तस्वीर में मुलायम और उनके साथ मंच पर मौजूद सभी लोग नंगे सिर हैं, सिवाय गांधी टोपी पहने एक नेता के। हालांकि, उनके पीछे पार्टी का बैनर लाल रंग में है।

27-28 जुलाई, 1996 को लखनऊ में आयोजित तीसरे राष्ट्रीय अधिवेशन की तस्वीर में सपा का जाना पहचाना लाल और हरा बैनर – आज पार्टी के झंडे का रंग – दिखाई देता है। पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के अनुसार, सपा में लाल झंडा मजदूरों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और किसानों के लिए हरा रंग दर्शाता है।

अखिलेश और लाल टोपी
7-8 जून, 2011 को आगरा में आयोजित सपा के आठवें राष्ट्रीय सम्मेलन की तस्वीर में अखिलेश यादव पहली बार दिखाई दिए। उन्हें लाल टोपी पहने देखा गया, साथ ही कम से कम तीन अन्य लोगों के साथ, जो मंच पर उनके करीब थे, भी लाल टोपी पहने हुए थे। मुलायम सिंह यादव भी मंच पर थे, लेकिन वे टोपी नहीं पहने थे। साथ में दो अन्य नेता सफेद गांधी टोपी पहने नजर आ रहे हैं।

2016-17 में पार्टी की कमान संभालने के बाद अखिलेश ने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को लाल टोपी पहनने के लिए प्रोत्साहित किया। 2017 के विधानसभा चुनाव में जब सपा की हार के बाद भाजपा यूपी की सत्ता में आई, तो उन्होंने पार्टी के सभी कार्यक्रमों और सार्वजनिक कार्यक्रमों में टोपी पहनना शुरू कर दिया।

उन्होंने सुनिश्चित किया कि पार्टी कार्यकर्ता योगी आदित्यनाथ सरकार की नीतियों और राज्य में अपराध की घटनाओं के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों में टोपी पहनें।

पार्टी के प्रमुख संगठन – लोहिया वाहिनी और यूथ ब्रिगेड – के लोग भी लाल टोपी पहनते हैं, जिस पर संगठन का नाम छपा होता है। रविवार को चंदौली में पुलिस के साथ हुई मारपीट के दौरान सपा कार्यकर्ताओं ने लाल टोपी पहन रखी थी।

लाल रंग का महत्व
पार्टी प्रवक्ता चौधरी, जिन्होंने सपा के सभी सम्मेलनों में भाग लिया है, ने कहा: “लाल टोपी को समाजवादी नेताओं ने 1934 में पटना में अपने पहले सम्मेलन में अपनाया था। बाद में नेता अपने-अपने रास्ते चले गए, लेकिन उन्होंने और उनके संगठनों और पार्टियों के सदस्यों ने लाल टोपी पहनना जारी रखा। एक उदाहरण प्रजा सोशलिस्ट पार्टी का है, जिसके नेताओं ने भी लाल टोपी पहनी थी।”

बुधवार (8 दिसंबर) को एक बयान में, अखिलेश ने कहा: “भाजपा नेता लाल टोपी से डरते हैं … भाजपा की लाल बत्ती गुल होने वाली है (भाजपा सत्ता खोने के लिए तैयार है)।”