लोकसभा में कल यानी शुक्रवार (20 जुलाई) को मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए पहले अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होनी है। इस बीच सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से ताबड़तोड़ बैठकों का सिलसिला जारी है। दोनों पक्ष अपने-अपने पाले में अधिक से अधिक सांसदों का समर्थन जुटाने की रणनीति बना रहे हैं। इस बीच, हर मुद्दे पर मोदी सरकार की आलोचना करने वाली एनडीए की सहयोगी शिवसेना ने कहा है कि वो सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान मोदी सरकार का समर्थन करेगी।  शिव सेना के इस कदम से एनडीए एकबार फिर एकजुट दिख रहा है। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने एलान किया कि शिवसेना उनके साथ है। उधर, हर मुद्दे पर पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर बयान देने वाले पटना साहिब से बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने भी कहा है कि वो इस मुश्किल दौर में मोदी सरकार के साथ हैं। यानी सिन्हा विपक्षी अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोट देंगे।

इधर, दो विपक्षी दलों के रुख से विपक्षी मुहिम को धक्का लगा है। तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी एआईएडीएमके अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करेगी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीसामी ने कहा है कि उनकी पार्टी मोदी सरकार के साथ है। ओडिशा की सत्ताधारी नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल ने भी  विपक्ष को धक्का पहुंचाया है। उनकी पार्टी अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सदन से बाहर रह सकती है।बता दें कि विपक्ष नवीन पटनायक से उम्मीद लगाए बैठा था कि वो एनडीए सरकार के खिलाफ जाएंगे।

अविश्वास प्रस्ताव लाने वाली टीडीपी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने सभी दलों को पत्र लिखकर प्रस्ताव पर समर्थन मांगा था। हालांकि, तमिलनाडु के विपक्षी पार्टी डीएमके और दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट करने का फैसला किया है। बता दें कि मानसून सत्र के पहले दिन (18 जुलाई) ही टीडीपी समेत कई विपक्षी दलों ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था जिसे स्पीकर ने स्वीकर कर लिया था और 20 जुलाई (शुक्रवार) को उस पर सदन में चर्चा कराने की बात कही थी। लोकसभा में मौजूदा दलगत आंकड़ों के लिहाज से मोदी सरकार बड़ी सहजता से विश्वास मत परीक्षण जीत सकती है।