देश की राजधानी दिल्ली में एक और घोटाले की सुगबुगाहट ने आम आदमी पार्टी की नींद उड़ा दी है। इस बार आरोप मोहल्ला क्लीनिक को लेकर लगा है जिसे दिल्ली सरकार वर्ल्ड क्लास बताती नहीं थकती है। इन्हीं क्लीनिक्स की सक्सेस का श्रेय सीएम अरविंद केजरीवाल कई बार जेल जा चुके मंत्री सत्येंद्र जैन को देते रहते हैं। लेकिन अब उसी मोहल्ला क्लीनिक स्कीम ने आम आदमी पार्टी सरकार को मुश्किलों में ला दिया है। एक कथित घोटाले के आरोप से फिर दिल्ली सरकार घिर चुकी है और एक बार फिर सीबीआई भी मामले की जांच करने जा रही है।
AAP का सबसे बड़ा डर सच होने वाला है!
लोकसभा चुनाव करीब है, कुछ दिनों में तारीखों का ऐलान भी हो जाएगा, ऐसे में प्रचार जोरों पर चलने वाला है। उस प्रचार में कौन क्या नेरेटिव सेट करेगा, इस पर काफी कुछ निर्भर रहने वाला है। इस देश में वैसे भी कई मौकों पर असल मुद्दों से ज्यादा नेरेटिव की वजह से वोटिंग पैटर्न बदल जाते हैं। यहीं वो फैक्टर है जो आम आदमी पार्टी की आगामी चुनाव में चुनौती बढ़ा सकता है। इस समय तक मोहल्ला क्लीनिक को लेकर जो घोटाले लगे हैं, उसमें कुछ भी साबित नहीं हुआ है,लेकिन बीजेपी नेरेटिव सेट करने में देर नहीं लगाएगी कि खुद को कट्टर ईमानदार बताने वाली पार्टी एक बार फिर बेईमान साबिक हो चुकी है।
मोहल्ला क्लीनिक घोटाला क्या है?
अब चुनावी समीकरणों को समझा जाएगा, लेकिन पहले नए-नए सामने आए मोहल्ला क्लीनिक के कथित घोटाले के बारे में जानना जरूरी है। असल में पता ये चला है कि 7 मोहल्ला क्लीनिक्स की जांच की गई है, जहां पाया गया है कि फर्जी मरीजों के जरिए फर्जी लैब टेस्ट करवाए गए हैं। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जो मरीज मोहल्ला क्लीनिक में आए हैं, वो असल में मरीज है ही नहीं। जो नंबर भी रिकॉर्ड बुक में डाले गए हैं, वो सभी गलत निकले हैं। इसके ऊपर उन सभी के लैब टेस्ट भी करवाए गए हैं। दो निजी लैब्स में ये टेस्ट किए गए हैं। अब सवाल ये उठता है कि जब मरीज फर्जी, तो टेस्ट कैसे हो गए। यहीं पर सारा खेल हुआ है, अधिकारियों के मुताबिक पैसा जरूर सरकार की तरफ से लैब टेस्ट के लिए दिया गया है, लेकिन असल में वो टेस्ट कभी हुआ ही नहीं, बस रिकॉर्ड बुक भरने के लिए उनका इस्तेमाल हो गया।
आप ने घोटाले पर क्या बोला?
इसी वजह से माना जा रहा है कि सरकार को इन फर्जी टेस्ट के जरिए बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। अभी के लिए केजरीवाल सरकार ने इस पर सिर्फ इतना कहा है कि हेल्थ सेकरेट्ररी से लेकर अफसरों पर उनका कोई कंट्रोल नहीं है, इनकी नियुक्ति भी उनकी तरफ से नहीं की जा सकती है। यानी कि यहां भी इशारों में ही सही, आप सरकार ने केंद्र और बीजेपी पर आरोप मढ़ दिया है। लेकिन दूसरी तरफ एलजी वीके सक्सेना ने क्योंकि इस मामले की जांच के लिए सीबीआई से कह दिया है, ऐसे में बीजेपी को भी हमला करने का नया मौका मिल चुका है।
अब यहां ये समझना जरूरी है कि राजनीति में भ्रष्टाचार के आरोप कई पार्टियों पर समय-समय पर लगते रहते हैं, कई नेताओं को जेल भी जाना पड़ा है। लेकिन बात जब अरविंद केजरीवाल की आती है तो विश्लेषण करने का नजरिया बदलना जरूरी रहता है। वे एक ऐसी पार्टी के संयोजक है जिसने भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर ही अपनी पार्टी की शुरुआत की है। अब जिस पार्टी की नींव ही भ्रष्टाचार का विरोध करने पर रखी गई हो, जब उसी पर एक के बाद एक भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे, तो जनता के बीच में क्या संदेश जाएगा?
बीजेपी का क्या नेरेटिव?
अब उसी संदेश को निगेटिव बनाने के लिए बीजेपी के तमाम प्रवक्ता और बड़े नेता लगे हुए हैं। दिखाने की कोशिश हो रही है कि दिल्ली में सबसे भ्रष्ट सरकार बैठी है जिसने शराब से लेकर दवाई घोटाले कर रखे हैं। वैसे कथित शराब घोटाले का जिक्र भी पिछले साल दिसंबर में ही किया गया है। उस मामले में एलजी कार्यालय का कहना था कि अस्पतालों को खराब गुणवक्ता वाली दवाइयां मिली हैं। यहां तक कहा गया था कि 10 फीसदी दवाई के नमूने ही फेल हो गए। इस समय दवाई घोटाले की भी जांच जारी है।
पूरे विवाद से AAP को क्या फायदा?
ऐसे में सवाल उठता है कि ये घोटाले और गिरफ्तारी की तलवार ज्यादा फायदा किसे देना वाला है- आम आदमी पार्टी या बीजेपी? अब आम आदमी पार्टी के पिछले कुछ दिनों के बयानों पर नजर डाली जाए तो वे खुद ही अपने नेता की गिरफ्तारी की बात कर रही है। वो तो जेल से ही सरकार चलाने को भी तैयार है। खुद अरविंद केजरीवाल ने भी ऐसा ही कई मौकों पर कह दिया है। अब ये कोई चुनौती देने का काम नहीं है, बल्कि राजनीति का सबसे सफल दांव ‘विक्टिम कार्ड’ खेलना है। पार्टी लंबे समय से इसी कोशिश में लगी है कि जनता के बीच में ये बात सेट हो जाए कि जांच एजेंसियां सिर्फ विपक्षी नेताओं के पीछे पड़ी है। यानी कि सहानुभूति वाला माहौल बनाने के लिए आम आदमी पार्टी तैयार है।
पूरे विवाद से बीजेपी को क्या फायदा?
बीजेपी की बात करें तो उसे पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे और उनकी भ्रष्टाचार खत्म करने वाली गारंटी से पूरा फायदा मिल सकता है। बीजेपी वैसे भी पीएम मोदी के भरोसे ही आगामी लोकसभा चुनाव में उतरने जा रही है, ऐसे में जब-जब पीएम अरविंद केजरीवाल से लेकर हेमंत सोरेन पर चुटकी लेंगे, जनता को उनके कथित भ्रष्टाचार की याद दिलाएंगे, उस स्थिति में बीजेपी के पक्ष में भी माहौल बन सकता है। अभी के लिए अरविंद केजरीवाल झुकने के मूड में नहीं है, ऐसे में ईडी के समन भी जारी रहने वाले हैं और गिरफ्तारी की तलवार भी लटकी रहने वाली है।