MGNREGA Name Change Controversy: केंद्र सरकार मनरेगा योजना का नाम बदलने का प्रस्ताव लाई है। अब इस योजना का नया नाम ‘वीबी- जी राम जी’ योजना होगा। इसके प्रावधानों में बदलावों को लेकर केंद्र सरकार संसद में बिल पेश करने वाली है। योजना का पूरा नाम ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) ‘VB-G RAM G’ रखा है। नाम बदलने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में टकराव की स्थिति है। विपक्ष के विरोध को लेकर बीजेपी के राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने हमला बोला है।
बीजेपी सांसद ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा, “विपक्ष को यह बात समझ नहीं आ रही है कि इसका नाम बदलकर हिंदी नाम क्यों रखा गया है। उनकी असली आपत्ति विधेयक के नाम में ‘राम’ शब्द को लेकर है। दूसरी ओर विपक्ष की तरफ से सरकार पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
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मनरेगा को खत्म करने योजना – प्रियंका चतुर्वेदी
मनरेगा को लेकर खड़े हुए विवाद पर शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने बीजेपी पर हमला बोला। उन्होंने कहा, “बीजेपी भाजपा महात्मा गांधी और पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसे अनगिनत नेताओं के प्रति गहरी नाराजगी रखती है, जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और जिम्मेदारी से देश का शासन संभाला। इस विधेयक से महात्मा गांधी का नाम हटाकर उसकी जगह ‘जी राम जी’ का नाम जोड़ने से उनका इरादा साफ हो जाता है।”
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “वे 125 दिनों के काम की बात कर रहे हैं, लेकिन बोझ राज्य सरकारों पर पड़ रहा है। पहले एमजीएनआरईजीए के तहत केंद्र सरकार 90% और राज्य सरकारें 10% योगदान देती थीं लेकिन अब आपने इसे बदलकर 60%-40% कर दिया है। आप सारा बोझ राज्यों पर डाल रहे हैं और उन्हें कर्ज की ओर धकेल रहे हैं। यह एमजीएनआरईजीए को खत्म करने की दिशा में एक और कदम है। इसे पहले स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए और फिर संसद में पेश किया जाना चाहिए।”
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अवधेश प्रसाद बोले – स्थायी समिति के पास भेजा जाए प्रस्ताव
समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा, “सबसे पहले, इस विधेयक में एक ऐसा प्रावधान होना चाहिए जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि इस योजना के तहत अब तक काम कर चुके सभी मजदूरों को एक निश्चित समय सीमा के भीतर भुगतान किया जाए। एमजीएनआरईजीए लागू होने के बाद से महंगाई काफी बढ़ गई है। इसलिए, मजदूरों की मजदूरी में भी उसी अनुपात में वृद्धि होनी चाहिए। 125 दिन का काम पर्याप्त नहीं है; कम से कम 200 दिन के काम की गारंटी होनी चाहिए। हम मांग करेंगे कि इस विधेयक को आगे विचार के लिए चयन समिति को भेजा जाए।”
केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नए विधेयक का उद्देश्य विकसित भारत 2047 के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप ग्रामीण विकास ढांचा स्थापित करना है। इसके तहत अकुशल शारीरिक श्रम करने के लिए स्वेच्छा से आगे आने वाले प्रत्यके ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को हर वित्त वर्ष में 125 दिनों के मजदूरी आधारित रोजगार की वैधानिक गारंटी दी जाएगी।
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