Mewat: हरियाणा के नूंह जिले में भड़की सांप्रदायिक हिंसा की आग तो बुझ गई है लेकिन इसके चर्चे अभी भी आम हैं। इस हिंसा के बाद कुछ नाम प्रमुखता से फोकस में आए हैं जिनमें एक नूंह जिला है और दूसरा मेवात क्षेत्र। मेवात  हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश राज्यों में फैला हुआ इलाका है, यहां मेव मुसलमान बड़ी तादाद में बसते हैं। कौन हैं मेव मुसलमान और क्या रहा है इनका इतिहास, समझिए। 

मेव कौन हैं?

मेव मुसलमान हरियाणा के नूंह, पलवल, फरीदाबाद और गुड़गांव जिले, राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिले और मथुरा सहित पश्चिमी यूपी के कुछ क्षेत्र में बसते हैं। 

हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के अध्यक्ष और सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर एसके चहल ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मध्ययुगीन भारत में मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान मेवात पंद्रह सूबों (प्रांतों) में से एक था। ज़्यादातर इतिहासकार यह दावा करते है कि मेव शुरू में मुस्लिम नहीं थे और 12वीं से 17वीं शताब्दी के दौरान दिल्ली के सुल्तानों जिनमें औरंगजेब जैसे मुगल सम्राट भी शामिल थे ने  धीरे-धीरे उन्हें इस्लाम कबूल करवा दिया। हालांकि यह महज एक दावा है और कुछ इतिहासकार इसके उलट भी राय रखते हैं। 

मेव का मतलब क्या है? 

‘मेव’ शब्द का प्रयोग उन लोगों लिए किया जाता है जो संभवत पहाड़ियों की आदिवासी आबादी रहे होंगे। कुछ का मानना है कि उनका संबंध मीना आदिवासी समूह से भी हो सकता है।

चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर एम राजीवलोचन कहते हैं,”ऐसा माना जाता है कि वे अरावली पर्वतमाला में रहने वाले मीनाओं के जैसे ही एक समूह थे, जिस क्षेत्र में वे रहते थे 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में एक तरफ अरावली के साथ जंगली क्षेत्र और दूसरी तरफ नदी के मैदान थे, वे लगातार अन्य स्थानीय समूहों, विशेषकर अहीरों और जाटों के साथ घुलते-मिलते भी रहे।” 

हालांकि मेवों के इतिहास को लेकर साफ तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि मेव राजपूत थे और कुछ का कहना है कि वह मीना जनजाति से संबंध रखते थे। ‘डिस्ट्रिक्ट गजेटियर ऑफ उलवुर (1878) के मुताबिक मेव और मीनाओं के नाम और उपनाम एक जैसे पाए जाते हैं। मेव समुदाय के लोग इस्लाम के त्योहारों के साथ-साथ दिवाली, होली और तीज जैसे हिंदू त्योहार भी मनाते हैं। यह लोग महान सूफी संत निज़ामुद्दीन औलिया को भी मानते रहे हैं।