मनोज कुमार मिश्र
साल भर से ज्यादा चले किसान आंदोलन इस मायने में पूरी तरह से सफल रहा कि पिछले साल संसद से पास किए गए तीनों कृषि सुधार कानून वापस हो गए और किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) दिलवाने के लिए सरकार किसान नेताओं के साथ एक कमेटी बनाने पर सहमत हो गई। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसान अपने आंदोलन की जीत मनाते हुए अपने गांव लौट गए। विरोधी दल इसे सरकार की हार की तरह प्रचारित करता रहा है और सत्ता पक्ष के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात को ही दुहराना शुरू किया कि किसानों की बेहतरी के लिए बनाए गए विधान की बातें सभी किसानों को न समझा पाने के कारण सरकार को उन्हें वापस लेना पड़ा।
आंदोलन समाप्त होने के बाद भी अनेक सवाल अपनी जगह पर कायम है। कानून वापसी के बावजूद आर्थिक संकट झेल रहा किसान कब तक पैसे वालों से अपना खेत बचा पाएगा। कब तक देश भर के किसानों को बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी और उन्हें एमएसपी नहीं अपनी फसल का लाभप्रद मूल्य मिलेगा। कब तक किसानी का काम लाभकारी बन जाएगा और बेकारी, भुखमरी और गरीबी के चलते गांवों से होने वाला पलायन कम होगा।
गांव में रहने वाले खेतिहर मजदूरों की समस्या अलग तरह की है। सरकारी योजनाओं का उन्हें भले ही भ्रष्टाचार के कारण पूरा लाभ भले ही नहीं मिलता है लेकिन उससे उनके आर्थिक हालात में कुछ सुधार हुआ है। बड़ी तादाद में खेतिहर मजदूरों ने अपेक्षाकृत संपन्न राज्यों में मजदूरी करके अपनी आर्थिक हालात में सुधार किया। महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना(मनरेगा) के बजट में हर साल बढोतरी हो रही है। साल 2021-22 के बजट में इस योजना का बजट 73 हजार करोड़ तय किया गया है।
आखिरकार प्रधानमंत्री ने तीनों बिलों को वापिस लेने की घोषणा की और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) किसानों को दिलाने के लिए किसान संगठनों के साथ कमेटी बनाना तय किया गया। सभी को यह लगने लगा कि सालों बाद खेती-किसानी को देश के मुख्य एजेंडे पर ला दिया है। सही मायने में सभी किसानों की आर्थिक हालत तभी सुधरेगी जब सरकार चौतरफा प्रयास करेगी। सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने का उपाय कर रही है लेकिन उसका पूरा लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है।
किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, बैंकों से सस्ते दर पर कर्ज मिलने की व्यवस्था, कृषि उत्पाद को देश के विभिन्न इलाकों में पहुंचाने के लिए विशेष रेलगाड़ी चलाने आदि तमाम ऐसी योजनाएं हैं जिससे छोटे किसानों को काफी मदद मिल रही है। सबसे बड़ी समस्या इन योजनाओं का हर जरूरतमंद तक पहुंचाने और कृषि क्षेत्र में उन प्रयासों को करने से है जिससे किसानों की आमदनी बढ़े।