दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से सूचना प्रौद्योगिकी में एमटेक करने वाले मयंक कुमार मित्तल ने अपने दोस्त सचिन भारद्वाज के साथ मिलकर कोरोना विषाणु संक्रमण के मरीजों को प्लाज्मा उपलब्ध कराने के लिए नीडप्लाज्मा डॉट ओआरजी नाम से एक वेबसाइट बनाई है।

इस वेबसाइट पर कोरोना के संक्रमण से मुक्त हो चुके वे लोग अपने मोबाइल के जरिए पंजीकरण कराते हैं जो अपना प्लाज्मा किसी को दान देना चाहते हैं। इसके बाद जिस मरीज को प्लाज्मा की जरूरत होगी वह वेबसाइट के माध्यम से प्लाज्मा ले सकेगा। पेश हैं मयंक से बातचीत के कुछ अंश…

सवाल : इस वेबसाइट को बनाने का विचार आपको कैसे आया?

मयंक : ये तो सभी जानते हैं कि अभी तक कोरोना विषाणु संक्रमण का कोई इलाज नहीं है। आइसीएमआर ने कुछ राज्यों को परीक्षण के तौर पर कोरोना मरीजों पर प्लाज्मा थैरेपी उपयोग करने की इजाजत दी है। मैंने कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया वेबसाइटों पर प्लाज्मा देने का अनुरोध करते हुए कई संदेश देखे। इसके बाद मैंने और मेरे दोस्त सचिन भारद्वाज ने इस समस्या के बारे में सोच और इस वेबसाइट को बनाने का विचार सामने आया। हम दोनों ने मिलकर इस वेबसाइट को दो दिन में तैयार कर दिया था।

सवाल : आपकी वेबसाइट कैसे काम करती है?
मयंक : हमारी वेबसाइट पर प्लाज्मा दानदाता को अपने मोबाइल नंबर के माध्यम से पंजीकरण करना होगा। इसके बाद मरीजों को अपने मोबाइल नंबर के अलावा खून के समूह, अपने राज्य आदि के बारे में भी जानकारी देनी होगी। जब किसी राज्य में किसी मरीज को प्लाज्मा की जरूरत होगी तो यह वेबसाइट मरीज के सबसे नजदीकी प्लाज्मा दानदाता को इस बारे में एक एसएमएस भेजेगी। इसके बाद मरीज के परिजन और प्लाज्मा दानदाता से संपर्क करके प्लाज्मा ले लेंगे।

सवाल : आपको इस दौरान क्या समस्या आ रही है?
मयंक : हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमारी वेबसाइट के बारे में अभी ज्यादा लोगों को पता नहीं है। इस संबंध में हमने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने के लिए समय मांगा है।

प्रस्तुति : सुशील राघव