ज्ञानवापी के सर्वे के दौरान शिवलिंग से जुड़े विवाद पर काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत राजेंद्र तिवारी ने बीजेपी पर वार करके कहा कि विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए काशी के कई मंदिरों को तोड़ा गया, तब ये कहां थे? उनका कहना था कि इसे लेकर याचिका भी दाखिल की गई थी। सर्वे में शिवलिंग मिलने के सवाल पर उनका कहना था कि जिस चीज को उन्होंने देखा नहीं उस पर कुछ नहीं कह सकते।

आजतक पर डिबेट के दौरान एंकर ने सवाल किया कि ऐसे तो भगवान को किसी ने नहीं देखा पर उन्हें क्यों मानते हैं। एंकर का उनसे सवाल था कि धर्म की बात आती है तो हमें विज्ञान को दरकिनार करना पड़ता है। इससे आप सहमत हैं?

एंकर का बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया से सवाल था कि जिनका यहां से कोई लेनादेना नहीं है। दिल्ली से लाकर राजनीति की जा रही है। सीधे आप पर आरोप है। जिस एक्ट का हवाला ओवैसी दे रहे हैं, उसमें गलत क्या है। 1947 के बाद धार्मिक स्थलों की जो भी स्थिति है वो बनी रहेगी। एंकर अर्पिता का सवाल था कि अगर ज्ञानवापी मामले में आपके हक में कोई चीज सामने आ भी जाती है तो आपका अगला स्टैंड क्या रहेगा।

गौरव भाटिया का जवाब था कि 1991 के एक्ट को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई है। उस पर अभी फैसला आना बाकी है। किसी के पास मालिकाना हक है तो आप किसी भी धर्म से ये हक नहीं छीन सकते है कि उसे उसकी धार्मिक जगह से महरूम रखा जाए। पांच लोगों के कहीं और से आने पर उनका कहना था कि सबरीमाला मामले में ये चीज साफ हो चुकी है। पांच महिला अगर श्रंगार गौर में जाना चाहती हैं तो ये उनका हक है। औरंगजेब की तरह से ये तलवार की नोंक पर नहीं हो रहा है। वो सारा काम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप कर रही हैं।

एक पैनलिस्ट का कहना था कि एक्ट के सेक्शन चार के सब क्लाज तीन को पढ़े तो लिखा है कि प्राचीन मंदिरों पर ये एक्ट लागू नहीं होता है। पुरातत्विक स्थलों के तहत आने वाले 100 साल से पुराने मंदिरों को इसमें नहीं रखा गया है। उनका कहना था कि सभी को इसका सम्मान करना चाहिए। बीजेपी के लोग चुनावी फायदे के लिए धार्मिक विवादों को भड़काने में लगे हैं।