एक व्यक्ति ने शराब के नशे और अति आत्मविश्वास में पुलिस के सामने सच बोल दिया। व्यक्ति लगातार पुलिस को 30 साल से चकमा दे रहा था, लेकिन खुद ही सच बोल दिया। अक्टूबर 1993 में अविनाश पवार और दो अन्य लोगों ने लोनावाला में एक 55 वर्षीय व्यक्ति और उसकी 50 वर्षीय पत्नी का घर लूटने के दौरान उनकी हत्या कर दी थी। इसमें मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था जबकि अविनाश पवार उस समय 19 वर्ष का था, वह दिल्ली भागने में सफल रहा था।
हत्या के बाद अविनाश पवार भागता रहा
इसके बाद अविनाश पवार महाराष्ट्र के औरंगाबाद चले गए, जहां उन्होंने अमित पवार के नाम पर ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया। औरंगाबाद से मुंबई के विक्रोली में अविनाश बस गए लेकिन इसके पहले वह पिंपरी-चिंचवाड़ और अहमदनगर भी गए थे। अविनाश पवार ने अपने नए नाम पर आधार कार्ड बनवाया, शादी की और यहां तक कि अपनी पत्नी के लिए एक सफल राजनीतिक करियर भी सुनिश्चित किया।
हत्या की घटना के तीस साल बीत गए और अविनाश पवार, जो अब 49 साल के हैं, उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। पुलिस सूत्रों ने कहा कि 1993 में घटना के बाद अविनाश कभी लोनावाला नहीं गए। यहां तक कि अपनी मां या अपनी पत्नी के माता-पिता से मिलने भी नहीं गए, जो अभी वहीं रहते हैं।
पुलिस ने ऐसे पकड़ा
अविनाश पवार को विश्वास था कि वो कभी पकड़ा नहीं जायेगा। इसके बाद उसने शराब पीकर दोहरे हत्याकांड और डकैती के बारे में किसी को बताया। इसके बाद उस व्यक्ति ने मुंबई अपराध शाखा के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट दया नायक (Senior Police Inspector and encounter specialist Daya Nayak) को सूचना दी थी। इसके बाद अविनाश पवार को शुक्रवार को विक्रोली से गिरफ्तार किया गया।
घटना को लेकर पुलिस उपायुक्त (Mumbai Crime Branch) राज तिलक रोशन ने कहा कि अविनाश पवार 30 साल पहले लोनावाला में हुए एक दोहरे हत्याकांड का आरोपी है। पीड़ित एक बुजुर्ग दंपति थे जो अविनाश पवार को जानते थे क्योंकि उनके घर के पास पवार की एक दुकान थी। पुलिस ने कहा कि उसने दो अन्य लोगों के साथ उनके घर को लूटने की योजना बनाई और डकैती के दौरान दंपति को मार डाला।