बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी नेताओं की बैठक 23 जून को हुई थी। अब दूसरी बैठक 17 – 18 जुलाई को बेंगलुरु में होगी। इस बैठक में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी न्योता भेजा गया है। माना जा रहा था कि बंगाल पंचायत चुनाव को लेकर विपक्षी एकता टूट रही थी और तृणमूल कांग्रेस बैठक में हिस्सा नहीं ले सकती है, लेकिन अब टीएमसी ने बड़ी घोषणा की है।तृणमूल कांग्रेस ने घोषणा की है कि ममता बनर्जी और पार्टी में नंबर 2 अभिषेक बनर्जी बैठक में शामिल होंगे।

बेंगलुरु में होगी विपक्ष की बैठक

17-18 जुलाई को होने वाली बैठक में 24 विपक्षी दलों के शामिल होने की उम्मीद है। इस बार बातचीत में अधिक महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लिया जाएगा। टीएमसी सूत्रों ने कहा कि ममता बनर्जी और अभिषेक 17 जुलाई को बेंगलुरु पहुंच जायेंगे। हालांकि टीएमसी के दोनों प्रमुख नेता विपक्ष के डिनर में शामिल नहीं होंगे, जो राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की ओर से आयोजित किया जाएगा। इस डिनर में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी शामिल होंगी।

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार पंचायत चुनाव के प्रचार के दौरान लिगामेंट फ्रैक्चर के बाद डॉक्टरों द्वारा दी गई पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल की सलाह के कारण ममता बनर्जी रात्रि भोज में भाग नहीं लेंगी। सूत्रों ने कहा कि बातचीत में अभिषेक की उपस्थिति उनके उभरते नेतृत्व पर टीएमसी की ओर से एक संदेश है।

टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि वे भाजपा को हराने के बारे में स्पष्ट हैं और इसलिए राष्ट्रीय गठबंधन को लेकर गंभीर हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि बंगाल में कांग्रेस और वाम दलों का रुख एक था और अभिषेक बनर्जी द्वारा बैठक में इसे उठाने की उम्मीद है।

9 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बंगाल पंचायत चुनावों के दौरान हुई हिंसा पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि निष्पक्ष चुनाव होने चाहिए नहीं तो कोई लोकतंत्र नहीं रहेगा।

ममता बनर्जी ने पहले कांग्रेस और सीपीआई (एम) की आलोचना पर अपनी नाराजगी स्पष्ट करते हुए कहा था कि मुझे सीपीआई (एम) और कांग्रेस पर दया आती है। मैं कुछ नहीं कहूंगी क्योंकि राष्ट्रीय गठबंधन की बात चल रही है, लेकिन क्या आपको लगता है कि आप इस तरह व्यवहार करेंगे और मैं आपका मनोरंजन करूंगी?

टीएमसी के गुस्से का मुख्य कारण कांग्रेस बंगाल अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी हैं, जो टीएमसी और ममता के मुखर आलोचक हैं। पंचायत चुनाव में टीएमसी को अधीर रंजन चौधरी के गढ़ मुर्शिदाबाद में सबसे ज्यादा चुनौती का सामना करना पड़ा है।

अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह ममता ही हैं जो पाखंडी बन रही हैं। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने पंचायत चुनावों में विपक्ष के खून से खेला और अब वह राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता की बात करने जा रही हैं। यह दोहरापन स्वीकार्य नहीं है।

टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हिंसक झड़पों से राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की छवि खराब हुई है। अब भारत में कहीं भी चुनाव में इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत नहीं होती है। विपक्ष की बैठक में यह हमारे लिए नकारात्मक होगा। राहत की बात यह है कि मरने वाले ज्यादातर लोग हमारे कैडर के थे। इसलिए यह स्पष्ट है कि हिंसा विपक्ष द्वारा संचालित थी।

बीजेपी ने टीएमसी पर कसा तंज

बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने बेंगलुरु में एकता की बात करने के लिए बंगाल के तीन कट्टर प्रतिद्वंद्वियों के एक साथ आने का मजाक उड़ाया। सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि ममता बनर्जी राज्य में कांग्रेस और सीपीआई (एम) पर हमला कर रही हैं, लेकिन पटना में सीताराम येचुरी के साथ चाय पी रही हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ममता बनर्जी को स्वीकार भी नहीं करते लेकिन वह अभी भी बातचीत के लिए जा रही हैं।