पश्चिम बंगाल में जिस तरह से भाजपा का जनाधार तेजी से बढ़ रहा है, उससे टीएमसी समेत अन्य विपक्षी पार्टियां चिंतित हैं। इसी के हवाले से अब खबर आयी है कि पश्चिम बंगाल में साल 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को रोकने के लिए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और कांग्रेस हाथ मिला सकते हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स की एक खबर के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के नेताओं में इस संबंध में अनौपचारिक बातचीत भी चल रही है।
राहुल गांधी ने की थी टीएमसी सांसद से मुलाकातः खबर के अनुसार, संसद के बीते बजट सत्र के दौरान पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में टीएमसी के सदन के नेता कल्याण बनर्जी से लंबी बातचीत की थी। इस बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने बनर्जी से ये सवाल भी किया कि उनकी पार्टी राज्य में किसे मुख्य प्रतिद्वंदी मानती है?
एचटी की रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी ने इस बातचीत के दौरान कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के गठबंधन को मजबूत करने के बारे में भी बात की। गौरतलब है कि राहुल गांधी और कल्याण बनर्जी की मुलाकात के अलावा टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय और पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम भी इस मुद्दे पर चर्चा कर चुके हैं। हालांकि इस बारे में अंतिम निर्णय दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व द्वारा ही किया जाएगा।
बंगाल में भाजपा ने तेजी से बढ़ाया जनाधार: बता दें कि हालिया लोकसभा चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन काफी शानदार रहा। लोकसभा चुनावों में टीएमसी को जहां राज्य में 43.3% वोट मिले, वहीं भाजपा ने 40.3% वोट झटके और टीएमसी को बराबर की टक्कर दी। वोट शेयर के अलावा भाजपा ने राज्य में 18 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं टीएमसी साल 2014 की 34 सीटों से घटकर बीते आम चुनावों में 22 सीटों पर पहुंच गई है।
इन आंकड़ों को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा टीएमसी को कड़ी टक्कर देगी और ऐसा भी हो सकता है बीजेपी राज्य की सत्ता पर काबिज भी हो जाए।
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पर्दे के पीछे से हो रही बातचीतः खबर के अनुसार, यदि कांग्रेस और टीएमसी में गठबंधन को लेकर सहमति बन जाती है तो इसके बाद ममता बनर्जी के एक करीबी नेता गठबंधन को लेकर आगे बातचीत करेंगे। ममता बनर्जी के करीबी नेताओं का भी कहना है कि टीएमसी चीफ ममता बनर्जी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और आनंद शर्मा के साथ इस मसले पर बातचीत कर सकती हैं।
पहले भी दोनों पार्टियां आ चुकी हैं साथः बता दें कि टीएमसी और कांग्रेस इससे पहले साल 2009 के लोकसभा चुनावों में भी गठबंधन कर चुकी हैं। दरअसल इंडो-यूएस न्यूक्लियर डील के मुद्दे पर लेफ्ट पार्टियों ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। इस पर टीएमसी ने यूपीए सरकार को समर्थन दिया था। इसके बाद साल 2011 का विधानसभा चुनाव भी टीएमसी और कांग्रेस ने साथ लड़ा था। हालांकि साल 2013 में दोनों पार्टियों के बीच अलगाव हो गया था।