पश्चिम बंगाल में जिस जगह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रोड शो किया था ठीक उसी जगह मंगलवार को सीएम ममता बनर्जी ने पैदल मार्च करते हुए शक्ति प्रदर्शन किया। अपने हाथों में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की तस्वीर थामे ममता बनर्जी चलती दिखीं। यही नहीं 20 दिसंबर को गृह मंत्री अमित शाह की मेजबानी करने वाले गायक बासुदेव दास को भी सीएम ममता बनर्जी ने मंच पर बुलाया। खास बात ये कि इस मौके पर बंगाल की संस्कृति को एक जगह समाहित करने की कोशिश भी सीएम ममता ने की। कहीं न कहीं ममता बीजेपी को संदेश देना चाहती थीं कि ममता के गढ़ में टीएमसी से टकराना बीजेपी के लिए इतना आसान नहीं रहने वाला है।

इससे पहले जब शाह ने रोड शो किया था तो उन्होंने कहा था कि बंगाल की सियासत में दीदी का टाइम ओवर हो चुका है। जिसके जवाब में ममता ने कहा, “खेल इतना आसान नहीं है…. पहले आप 30 सीटें तो लेकर आइए, फिर उसके बाद 294 सीटों की बात करना।”

ममता बनर्जी ने कहा,“राष्ट्रगान को छूकर तो देखो फिर देखो क्या होता है?” जिसके जवाब में भीड़ में खड़े लोगों ने समर्थन किया। बता दें कि इससे पहले बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी कि देश के राष्ट्रगान में बदलाव की जरूरत है। सोशल मीडिया पर यूजर्स इस बात को लेकर भी मजे ले रहे हैं कि क्या पीएम मोदी पश्चिम बंगाल चुनाव में टैगोर बनने के लिए दाढ़ी बढ़ा रहे हैं।

अमित शाह पर चुटकी लेते हुए ममता बनर्जी ने कहा, “टैगोर कई साल पहले ही बंगाल को सोनार बांग्ला बता चुके हैं…. किसी को भी बंगाल को नया सोनार बांग्ला का ख्वाब दिखाने की जरूरत नहीं है।” “वे न तो टैगोर को जानते हैं और न ही नेताजी को…. वे यहां नफरत की राजनीति के साथ आए हैं।” गौरतलब है कि बंग ध्वनि कार्यक्रम के तहत टीएमसी लोगों को बतानी चाहती है कि उन्होंने राज्य की जनता के लिए क्या किया है।

ममता बनर्जी ने कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन पर हमला कर बीजेपी राज्य में नफरत की राजनीति को बढ़ावा देना चाहती है। इस मौके पर ममता बनर्जी ने भगवा पार्टी को बाहरी करार दिया। ममता ने कहा, “बीजेपी को बंगाल की जानकारी नहीं है। पार्टी कहती है कि टैगोर का जन्म विश्व भारती में हुआ था जबकि सच ये है कि टैगोर कोलकाता में पैदा हुए थे।”