जयंतीलाल भंडारी

इन दिनों पूरी दुनिया की निगाहें भारत के 2047 तक विकसित देश बनने के संकल्प पर लगी हुई हैं। दरअसल, आने वाले तेईस वर्षों में भारत को विकसित देश बनाना एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है। इस समय दुनिया में चालीस ही देश विकसित हैं, जिनमें प्रमुख रूप से औद्योगिक रूप से विकसित यूरोपीय देश हैं। भारत अभी विकासशील देश है। इसे विकसित देश बनाने के लिए लगातार आठ से नौ फीसद वार्षिक विकास दर प्राप्त करना जरूरी है।

देश की मौजूदा प्रति व्यक्ति आय, जो करीब 2600 डालर है, उसे करीब 12 हजार डालर तक पहुंचाने, मजबूत आर्थिक सुधारों, कृषि एवं श्रम सुधारों, अधिक पूंजीगत व्यय, अधिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं, राजकोषीय आदर्श, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय विकास के मूल्य, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में अधिक गुणवत्तापूर्ण विकास तथा गरीबी और भ्रष्टाचार उन्मूलन की राह पर रणनीतिक रूप से तेजी से आगे बढ़ना प्रमुख चुनौतियां है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत के विकसित राष्ट्र बनने की संभावनाओं के कई आधार हैं। भारत दुनिया में वैश्विक मंदी की चुनौतियों के बीच आर्थिक विकास की डगर पर लगातार तेजी से आगे बढ़ रहा है। 10 अप्रैल को एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने वित्तवर्ष 2024-2025 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का वृद्धि दर अनुमान बढ़ाकर सात फीसद कर दिया। उसने पहले 6.7 फीसद वृद्धि का अनुमान लगाया था।

उसने कहा कि सार्वजनिक और निजी निवेश के बेहतर परिदृश्य और सेवा क्षेत्र की मजबूत स्थिति को देखते हुए जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को बढ़ाया गया है। भारत में बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्र और राज्य सरकारों के पूंजीगत निवेश और निजी कंपनियों के निवेश बढ़ने, सेवा क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन तथा उपभोक्ता के आत्मविश्वास में सुधार की बदौलत वित्तवर्ष 2024-25 में वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

वस्तुओं के निर्यात में सुधार और विनिर्माण तथा कृषि उत्पादन बढ़ने से वित्तवर्ष 2025-26 में भी वृद्धि दर बढ़ेगी। एडीबी का संशोधित अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) द्वारा चालू वित्तवर्ष के लिए लगाए गए सात फीसद वृद्धि के अनुमान के अनुरूप है। आरबीआइ की मौद्रिक नीति समिति ने कहा है कि इस वर्ष 2024 में दक्षिण-पश्चिमी मानसून के अच्छा रहने की उम्मीद है, जिससे कृषि गतिविधियों में तेजी आएगी। इसके साथ ही शहरों में मांग बनी रहने और ग्रामीण बाजारों में मांग बढ़ने से निजी खपत में भी तेजी आएगी। तमाम बाजार संकेतक सकारात्मक दिखाई दे रहे हैं।

इससे विकसित भारत की डगर आगे बढ़ेगी। दुनिया की प्रमुख वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजंसियों ने कहा है कि विनिर्माण, निवेश और निर्यात के मद्देनजर भारत में स्थितियां उपयुक्त हैं। भारत में कई अहम आर्थिक सुधार हुए और उनका सकारात्मक असर दिखाई दे रहा है। वैश्विक स्तर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट के रुझान के बीच भारत दुनिया के सर्वाधिक एफडीआइ प्राप्त करने वाले प्रमुख देशों में शामिल है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी तेजी से बढ़ा है। भारत ने एक उत्पादक राष्ट्र के रूप में आधार तैयार किया है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के बाहरी झटकों से उबरने की क्षमता देश के टिकाऊ विकास की बुनियाद बन गई है। इसमें कोई दो मत नहीं कि इस समय भारत के पास टिकाऊ विकास के अभूतपूर्व अवसर हैं। वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक मंचों पर भारत को विशेष अहमियत दी जा रही है। भारत वैश्विक मंच पर बड़ी भूमिका के लिए तैयार है।

तेजी से बढ़ते भारतीय बाजार के कारण भारत के मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) बढ़ रहे हैं। प्रवासी भारतीय लगातार अधिक विदेशी धन भेज रहे हैं। देश के वैज्ञानिकों द्वारा अंतरिक्ष, कृत्रिम बुद्धिमता, सेमीकंडक्टर, ऊर्जा तथा नए तकनीकी विकास के कारण आर्थिक विकास को गति मिल रही है। चीन के प्रति बढ़ती नकारात्मकता के मद्देनजर भारत नए वैश्विक आपूर्तिकर्ता देश के रूप में उभरकर सामने आया है।

भारत द्वारा 2023 में आयोजित की गई जी-20 की सफल अध्यक्षता से नए आर्थिक लाभों का सिलसिला शुरू हो गया है। इस समय भारत जीडीपी के मद्देनजर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत से आगे अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान हैं। जापान की अर्थव्यवस्था से इसी साल 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था आगे निकल सकती है। वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजंसी क्रिसिल ने अपनी नई रपट में कहा कि भारत आर्थिक वित्तीय तथा संरचनात्मक सुधारों के कारण वर्ष 2031 तक निम्न मध्यम से उच्च मध्यम आय वाला देश बन जाएगा और विकसित भारत की डगर आगे बढ़ेगी।

इन आधारों की बुनियाद के साथ भारत 2047 तक विकसित देश की संभावनाएं रखता है। भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के मकसद से देश के प्रमुख सरकारी विभागों ने अभी से अगले पांच साल के लिए विकास कार्यों की रूपरेखा बनाने पर काम शुरू कर दिया है। इनमें खासतौर से कृषि, बुनियादी ढांचा, शिक्षा, रोजगार उद्योग, सेवा क्षेत्र, व्यापार, स्टार्टअप, हरित ऊर्जा, स्वास्थ्य, कौशल विकास, महिलाओं का उत्थान, गरीबी में कमी लाने, संतुलित क्षेत्रीय विकास, प्रभावी न्याय व्यवस्था, दुनिया में भारत की नई भूमिका जैसे विकसित राष्ट्र बनने के प्रमुख विषय शामिल हैं।

इन विभिन्न क्षेत्रों के विकास की लंबी अवधि की रणनीति से भारत द्वारा वर्ष 2047 तक तीस लाख करोड़ डालर की विकसित अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की संभावनाओं के बीच यह भी ध्यान देना होगा कि विकसित देश बनने की विभिन्न चुनौतियों का सामना करके सफलता प्राप्त की जाए। अब लगातार देश की जीडीपी बढ़ाने के साथ प्रतिव्यक्ति आय और आम आदमी की खुशहाली पर ध्यान देना होगा।

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई मानव विकास सूचकांक (एचडीआइ) रपट में भारत 193 में से 134वें स्थान पर है। विश्व खुशहाली रपट 2024 में 143 देशों में भारत को 126वां स्थान दिया गया है। हालांकि पिछले दस वर्षों में बहुआयामी गरीबों में बड़ी कमी आई है, लेकिन अब बकाया पंद्रह करोड़ से अधिक गरीबों को नई मुस्कुराहट देने का जोरदार अभियान आगे बढ़ाना होगा। कृषि, श्रमिक, भूमि और अन्य सुधारों की जरूरत बनी हुई है।

जीडीपी के अनुपात में हमारा शोध एवं विकास क्षेत्र पर कुल व्यय केवल 0.64 फीसद है। यह 2.71 फीसद के वैश्विक स्तर से बेहद कम है। देश में बेहतर शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य और पोषण सुनिश्चित कराने के साथ ही शांति कायम रखने और सुरक्षा चाक-चौबंद रखने के जरूरी ऊंचे लक्ष्यों पर ध्यान देना होगा।

देश में उन्नीस करोड़ से अधिक महिलाओं को सवैतनिक श्रमशक्ति में शामिल करने की रणनीति को अमलीजामा पहनाना होगा। हमारे शक्तिशाली सेवा क्षेत्र के जरिए विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए आगे बढ़ना होगा। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि देश वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने के लक्ष्य के समक्ष दिखाई दे रही चुनौतियों का सामना करते हुए सफलता के शिखर पर पहुंचने में अवश्य कामयाब होगा।