उद्योग भवन के सामने ऊंचे मंच पर बनी मेक इन इंडिया की शेर के आकार की कलाकृति को फिलहाल हटा दिया गया है क्योंकि इसके लिये दिल्ली शहरी कला आयोग (डीयूएसी) से अनिवार्य अनुमति नहीं मिली है। सूत्रों ने कहा कि दिल्ली के लुटियन जोन में किसी भी कलाकृति को लगाने के लिये डीयूएसी की अनुमति अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि उद्योग भवन के सामने से मेक इन इंडिया का शुभंकर अधिकारियों से अनिवार्य अनुमति नहीं मिलने की वजह से हटा दिया गया। इसे पिछले साल यहां लगाया गया था लेकिन आधिकारिक तौर पर इसे अनावृत नहीं किया गया था। मेक इन इंडिया की शेर के आकार की कलाकृति का तीसरी बार स्थान बदला गया है। इसको उद्योग भवन के बाहर कुछ महीने पहले ही रखा गया था। लेकिन यहां भी यह ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाई क्योंकि वहां पर कई महत्वपूर्ण मंत्रालय ने इसको लेकर नाखुशी जाहिर की।

शुरुआत में सरकार चाहती थी कि मेक इन इंडिया के शेर का निर्माण BHEL द्वारा किया जाए। लेकिन सरकार ने BHEL को इसका ऑर्डर ही लेट दिया। इसपर BHEL की तरफ से हाथ खड़े कर दिए गए कि वह गणतंत्र दिवस तक वह उसको तैयार नहीं कर पाएगी। इसपर दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी से गणतंत्र दिवस में लेकर जाने के लिए वैसा ही शेर बनवाया गया। फिर इसको हन्नोवर मेले (Hannover Fair) में भी ले जाया गया था। वह जर्मनी में हुआ था। उस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे थे। लेकिन वहां पर शेर को चलाया नहीं गया और स्थिर ही रखा गया क्योंकि उसके लिए इजाजत नहीं मिली थी।

फिर BHEL द्वारा बनाया गया शेर तैयार कर लिया गया। हालांकि, उसके निर्माण पर आए खर्च के बारे में अबतक किसी को नहीं बताया गया। BHEL ने शेर को जनपथ पर बनी भारी उद्योग मंत्रालय की बिल्डिंग के इंटरेंस पर रख दिया गया। लेकिन कई महीनों तक भारी उद्योग के मंत्री अनंत गीते अपने व्यस्त कार्यकम के चलते उसके उद्घाटन के लिए वक्त ही नहीं निकाल पाए। इसलिए उसको वहां पर ग्लास के एक बॉक्स में रखे रहने दिया गया। लेकिन वहां रखने पर कई सरकारी महकमों ने नाराजगी जाहिर की। लुटियन जोन की प्रमुख बिल्डिंग में से एक के मेन गेट पर उसको रखने से पार्किंग में दिक्कत जैसे समस्या होने लगी।

बाद में यह भी पता चला कि इसको रखने के लिए जरूरी विभाग से इजाजत भी नहीं ली गई थी। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, मेक इन इंडिया कैंपेन को देखने वाले विभाग ने तो उसको वहां से हटा लेने के लिए कह दिया था। इस लोगो को 2015 में सबके सामने लाया गया था। पहले सरकार हाथी या फिर टाइगर को लेने के बारे में सोच रही थी। लेकिन अंत में शेर पर बात पक्की की गई।