महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में कक्षा 1 से हिंदी पढ़ाने के सरकारी प्रस्ताव को वापस ले लिया है। हालांकि इसकी घोषणा के एक दिन बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने सोमवार को कहा कि मामला सुलझ गया है, लेकिन जिस तरह से यह सामने आया, उसे टाला जा सकता था। राज ठाकरे ने कहा कि अगर उत्तर भारतीयों को नौकरी के लिए महाराष्ट्र आना पड़े तो उनके राज्यों में भी मराठी पढ़ाई जानी चाहिए।
राज ठाकरे ने कहा, “कल, राज्य सरकार के पास हिंदी थोपने से संबंधित दोनों सरकारी प्रस्तावों को रद्द करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। मैं मराठी लोगों को दृढ़ रुख अपनाने के लिए बधाई देना चाहता हूं। यह मुद्दा शुरू से ही अनावश्यक था। आम लोगों के अलावा मैं कुछ लेखकों, कुछ कलाकारों और मराठी मीडिया के पत्रकारों और संपादकों को भी धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने इस मुद्दे का समर्थन किया।”
राज ठाकरे ने किया विरोध
राज ठाकरे ने कहा कि उन्हें हिंदी पढ़ाने पर जोर देना समझ में नहीं आता। ठाकरे ने कहा, “पहले हिंदी कक्षा 5 या 6 से पढ़ाई जाती थी और वह स्वीकार्य था। लेकिन अब इसे कक्षा 1 से क्यों थोपा जा रहा है? हिंदी राष्ट्रीय भाषा नहीं है। यह एक क्षेत्र की भाषा है। इसे दूसरे राज्यों पर नहीं थोपा जा सकता।”
राज्य सरकार द्वारा तीन-भाषा नीति लागू करने के कदम की क्षेत्रीय दलों, नागरिक समाज और प्रमुख मराठी हस्तियों ने कड़ी आलोचना की थी। इसे वापस लिए जाने की घोषणा के बाद राज ठाकरे और शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने 5 जुलाई को होने वाली संयुक्त विरोध रैली को रद्द कर दिया। मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज ठाकरे ने कहा, “इस सब की बिल्कुल भी जरूरत नहीं थी। उत्तर भारत से कई लोग काम के लिए महाराष्ट्र आते हैं। अगर ऐसा है, तो उनके राज्यों में मराठी पढ़ाई जानी चाहिए। महाराष्ट्र में मराठी के ऊपर हिंदी क्यों थोपी जा रही है? 3,000 साल पुरानी मराठी पर 150-200 साल पुरानी भाषा थोपने का यह प्रयास हमें स्वीकार्य नहीं है।”
राज ठाकरे ने कहा कि तीन-भाषा नीति का विरोध करने वाली पहली पार्टी एमएनएस थी। उन्होंने कहा, “तनाव बढ़ने के साथ ही अन्य राजनीतिक दल भी हमारे साथ आ गए – जिनमें उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पवार की एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) और अन्य शामिल हैं। हमने 5 जुलाई को विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी। अगर वह रैली होती, तो यह अभूतपूर्व होती। यह लोगों को संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की याद दिलाती। एकजुट मराठी आवाज का वास्तविक प्रभाव हो सकता है। मुझे उम्मीद है कि सरकार ने इसे समझ लिया है।”
राज ठाकरे ने पिछले हफ्ते शिवसेना मंत्री दादा भुसे के साथ हुई बैठक को भी याद किया। राज ठाकरे ने कहा, “जब वह मुझसे मिलने आए, तो उन्होंने कहा कम से कम हमारी बात तो सुनो। मैंने उनसे कहा, मैं आपकी बात सुनूंगा, लेकिन मैं सहमत नहीं होऊंगा।कोई समझौता नहीं होगा। यह धीमा जहर है। ये विचार धीरे-धीरे डाले जाते हैं। उन्होंने इसे आजमाया, और यह उल्टा पड़ गया। अब वे समितियां बनाने की बात कर रहे हैं। उन्हें करने दीजिए। यह हमारी चिंता का विषय नहीं है। लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा दोबारा न हो। हम ऐसी चीजों को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।”
विपक्षी दल करेंगे विजय सभा
प्रस्ताव की वापसी के बाद सेना (यूबीटी) ने रद्द किए गए विरोध प्रदर्शन की जगह विजयसभा का सुझाव दिया है। राज ठाकरे ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा, “संजय राउत ने फ़ैसले के बाद मुझे फ़ोन किया और पूछा आगे क्या? मैंने उनसे कहा कि हमें अब विरोध प्रदर्शन रद्द करना होगा, लेकिन हम निश्चित रूप से एक विजय रैली आयोजित कर सकते हैं। हम 5 जुलाई को इसे आयोजित करने के लिए सहमत हुए, लेकिन हमने अभी तक स्थल की घोषणा नहीं की है। मैं अपनी टीम से बात करूंगा, और वे समन्वय करेंगे। हम स्पष्ट कर दें – यह पार्टी की राजनीति के बारे में नहीं है। यह मराठी लोगों की जीत है, और इसे इसी तरह देखा जाना चाहिए।”