महाराष्ट्र में अजान बनाम हनुमान चालीसा विवाद के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का दावा है कि वो भाजपा के एजेंडे को समझते हैं। वहीं उनके ताजा बयान को देखें तो पता चलता है कि वो अपने पिता बालासाहेब ठाकरे की छवि से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि मेरे पिता बालासाहेब भोले थे लेकिन मैं नहीं हूं। मैं बीजेपी को उसके एजेंडे में कामयाब नहीं होने दूंगा।
मुबंई में 1 मई को द इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के मराठी दैनिक लोकसत्ता द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वो भाजपा के हर कदम और रणनीति पर आंखें और कान लगाए हैं। वहीं शिवसेना नेताओं का कहना है कि ठाकरे की टिप्पणी में वे एक विश्वास देखते हैं। जिसमें ठाकरे में भाजपा से निपटने का मजबूत भाव है। बता दें कि शिवसेना और भाजपा पहले गठबंधन सहयोगी थीं लेकिन अब महाराष्ट्र में एक प्रतिद्वंद्वी पार्टी के रूप में हैं।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को लेकर पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा, “उद्धव ठाकरे ने पिछले तीन दशकों से शिवसेना-बीजेपी गठबंधन देखा है और 2014 के बाद से एक बदली हुई भाजपा भी देखी है। लेकिन भाजपा और शिवसेना के साथ गठबंधन टूटने के बाद उद्धव अपना अलग रास्ता बना रहे हैं।”
शिवसेना नेताओं का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब उद्धव ठाकरे ने ऐसा बयान दिया है। 2017 के मुंबई निकाय चुनावों के दौरान भी उन्होंने कहा था कि शिवसेना ने भाजपा के साथ गठबंधन करके अपने 25 साल बर्बाद किए।
बता दें कि भाजपा और शिवसेना के बीच 1989 में बालासाहब ठाकरे की मौजूदगी में गठबंधन हुए था। जिसमें 2019 में उद्धव ठाकरे ने तोड़ दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ढाई साल तक मुख्यमंत्री पद साझा करने के अपने वादे को पूरा नहीं कर रही। भाजपा से अलग होने के बाद शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन किया।
शिवसेना नेता का कहना है “भाजपा की राजनीति है कि वह अपने सहयोगियों को खत्म करने पर आमादा है। उद्धव ठाकरे ने बहुत मुश्किल समय में शिवसेना को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया। महाविकास अघाड़ी सरकार ढाई साल तक चली है और आराम से अपना कार्यकाल पूरा करने के लिए तैयार है। इससे पता चलता है कि ठाकरे का राजनीतिक कौशल किसी से कमजोर नहीं है।”