P Vaidyanathan Iyer
महाराष्ट्र में सियासी घटनाक्रम जारी है। एनसीपी में हुई बगावत के बाद से ही अजित पवार गुट के निशाने पर शरद पवार हैं। प्रफुल्ल पटेल जो शरद पवार के काफी करीबी माने जाते हैं और यहां तक कहा जाता है कि वे बिना एनसीपी सुप्रीमो से पूछे कोई राजनीतिक फैसला नहीं लेते हैं, उन्होंने बड़ा बयान दिया है। प्रफुल्ल पटेल (Praful Patel) ने स्वीकार किया कि जब आप सत्ता में होंगे तभी पार्टी समर्थकों, सदस्यों और विधायकों के काम पूरे हो सकते हैं।
सुप्रिया सुले ने लोगों पर अपना निर्णय थोपा- प्रफुल्ल पटेल
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि दो मुख्य चीजें हैं जिनके कारण यह निर्णय लिया गया। पहला तो शरद पवार खुद भाजपा के साथ गठबंधन करने से नहीं कतराते थे। वहीं दूसरा उनकी बेटी जो उनके सभी एक्शन का आधार बन गईं और उन्होंने अपना निर्णय सभी पर थोप दिया है।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए प्रफुल्ल पटेल ने कहा यहां तक कि शरद पवार ने भी 2014 में बीजेपी को बाहर से समर्थन की पेशकश की। उन्होंने आगे कहा कि यहां तक कि 2019 में जब अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, तो यह शरद पवार की पूरी जानकारी में हुआ था। प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि आपको यह भी याद होगा कि शरद पवार ने खुद कहा था कि वह बीजेपी से बात कर रहे थे। फिर 2022 में जब एकनाथ शिंदे कई शिवसेना विधायकों को सूरत और गुवाहाटी ले गए, तो शरद पवार ने मुझसे, जयंत पाटिल और अजीत पवार से यह देखने के लिए कहा था कि क्या हम भाजपा के साथ गठबंधन कर सकते हैं। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और शिंदे का भाजपा के साथ गठबंधन हो चुका था।
पटना में विपक्ष की बैठक को लेकर प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि पटना की तस्वीर प्रेरणादायक नहीं थी। वे (विपक्षी दल) कह रहे हैं कि मोदी से मुकाबला करेंगे। पटेल ने कहा कि विपक्ष मोदी से मुकाबला कैसे करेगा, इसकी कोई योजना नहीं है।
शरद पवार के कदमों से नेता भ्रमित थे- प्रफुल्ल पटेल
प्रफुल्ल पटेल ने इस बात को ख़ारिज किया कि अजित पवार ने एनसीपी की विचारधारा के साथ समझौता किया है और उन्होंने कहा कि शरद पवार के कदमों से पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भ्रमित थे। प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि शरद पवार 2014 के बाद से कम से कम तीन बार बीजेपी के साथ गठबंधन की बात कर चुके हैं और 2019 में चुनाव के बाद उन्होंने शिवसेना के साथ गठबंधन करने का फैसला किया।