Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राज्य एनसीपी (एसपी) प्रमुख जयंत पाटिल ने सोमवार को एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने आशंका जताई कि बीजेपी और शिवसेना महायुति में शामिल अजित पवार की एनसीपी को चुनावी गठबंधन से दूर रखने का सुझाव दे सकती हैं। इसके पीछे उनकी मंशा है कि जनता में अपनी गिरती लोकप्रियता को सुधारना है। वे अजित पवार और उनकी पार्टी को चुनावों के बाद फिर से गठबंधन में शामिल होने के लिए कहेंगे।
BJP की लोकप्रियता कम होने की भी बात कही
जयंत पाटिल ने कहा, “देशभर में बीजेपी की विश्वसनीयता को अजित पवार की एनसीपी को महायुति में शामिल करने के बाद नुकसान हुआ है। इसलिए संभव है कि बीजेपी चुनावों के दौरान अजित पवार की एनसीपी को दूर रहने के लिए कहे, और विधानसभा चुनावों के बाद फिर से गठबंधन में शामिल किया जाए। उन्हें अलग से चुनाव लड़ने के लिए भी कहा जा सकता है और चुनावों के बाद फिर से हाथ मिलाए जा सकते हैं।”
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि बीजेपी और शिवसेना के नेता एनसीपी और अजित पवार की सार्वजनिक मौजूदगी पर आलोचना कर रहे हैं।
बीजेपी और शिवसेना के राज्य नेताओं ने एनसीपी पर आरोप लगाया है कि वह लोकप्रिय ‘लड़की बहन योजना’ का श्रेय ले रही है, जिसमें राज्य की पात्र महिलाओं को प्रति माह 1,500 रुपये की सहायता दी जाती है। इस योजना को अजित पवार द्वारा शुरू किया गया एक कार्यक्रम बताकर प्रचारित किया जा रहा है।
पिछले सप्ताह शिवसेना के मंत्री तनाजी सावंत के एनसीपी पर बयान ने भी विवाद उत्पन्न कर दिया था, जिससे एनसीपी को पलटवार करना पड़ा। इसी तरह बीजेपी और शिवसेना के स्थानीय नेताओं में एनसीपी के खिलाफ असंतोष देखा गया। पाटिल ने आरोप लगाया कि महायुति विधानसभा चुनावों को जानबूझकर टाल रही है ताकि ‘लड़की बहन योजना’ से राजनीतिक लाभ उठाया जा सके।
उन्होंने कहा, “राज्य की वित्तीय स्थिति गंभीर है। यह चिंता का विषय है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को समय पर वेतन मिलेगा या नहीं। महायुति का प्राथमिक लक्ष्य केवल सत्ता पर पकड़ बनाए रखना है, राज्य की भलाई नहीं। वे केवल अगले कुछ महीनों के बारे में सोच रहे हैं। महायुति के विधायक हमें बताते हैं कि योजना अगले कुछ महीनों के लिए है और इसके बाद इसका ऑडिट किया जाएगा।” पाटिल ने कहा कि सरकार को जरूरतमंदों की पहचान करनी चाहिए और सहायता की राशि बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।