Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने हाल में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की है, और अपनी परेशानियां भी बताई हैं। इसके बाद सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्या महाराष्ट्र की महायुति सरकार में कुछ खटपट है? पिछले हफ्ते के अंत में गृहमंत्री अमित शाह महाराष्ट्र के दौरे पर थे। यहां उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की पुण्यतिथि के अवसर पर रायगढ़ किले में एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
राज्य के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने रविवार सुबह मुंबई के सह्याद्री गेस्ट हाउस में शाह से मुलाकात की थी। यह आमने-सामने की मुलाकात थी क्योंकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नागपुर के दौरे पर थे जबकि दूसरी डिप्टी सीएम उपमुख्यमंत्री और एनसीपी प्रमुख अजित पवार अपने बारामती निर्वाचन क्षेत्र में थे।\
अजित पवार से नाराजगी की चर्चा
बीजेपी और एनसीपी ने एकनाथ शिंदे और अमित शाह की मुलाकात को लेकर कहा था कि ये बस एक शिष्टाचार भेंट ही थी। चर्चा है कि एकनाथ शिंदे ने अजित पवार के खिलाफ अमित शाह से शिकायत की। वहीं इस मामले में अजित पवार का कहना है कि एकनाथ शिंदे अमित शाह से शिकायत करने के बजाय उनसे बात करें।
अमित शाह ने मुलाकात के बाद कहा था कि हमारे बीच कोई मनमुटाव नहीं है। सब कुछ ठीक है। उन्होंने आगे कहा कि अमित शाह एनडीए और महायुति के नेता हैं। मेरी उनसे मुलाकात राज्य और मुंबई में चल रही विभिन्न विकास परियोजनाओं के बारे में उन्हें जानकारी देने के लिए थी।
गंभीर थी अमित शाह और डिप्टी सीएम शिंदे की बात
हालांकि शिवसेना के सूत्रों ने कहा कि अमित शाह और एकनाथ शिंदे के बीच गंभीर चर्चा हुई है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि अमित शाह और एकनाथ शिंदे मौसम और क्रिकेट पर बात नहीं कर रहे। यह राजनीति और सरकारी कामकाज पर गंभीर चर्चा ही रही होगी। सूत्रों ने बताया कि शिवसेना अपने सहयोगियों से कई मुद्दों पर नाराज है और डिप्टी सीएम शिंदे ने अमित शाह को महायुति के भीतर बढ़ती अलगाव की बातों से रूबरू कराया है।
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फडणवीस से भी हैं शिंदे से नाराज
जानकारी के मुताबिक शिवसेना अपने मंत्रियों के विभागों के लिए बजट आवंटन में “कटौती” से नाराज है। पार्टी का दावा है कि वित्त मंत्री अजित पवार ने बीजेपी और एनसीपी के मंत्रियों के विभागों की तुलना में उनके कोटे के मंत्रियों के विभागों के साथ अन्याय किया है। शिवसेना न केवल अजित पवार बल्कि सीएम देवेंद्र फडणवीस द्वारा लिए गए फैसले से भी नाराज हैं।
सूत्रों के मुताबिक मंत्रियों के निजी सहायक (पीए) या विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) के रूप में दागी साख वाले व्यक्तियों की नियुक्ति की अनुमति नहीं दी गई। फडणवीस के फैसले के मद्देनजर, शिवसेना द्वारा प्रस्तावित कई नियुक्तियों पर सवाल उठाए गए या उन्हें खारिज कर दिया गया, जिसके चलते शिवसेना फडणवीस से नाराज हैं।
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परिवहन विभाग में नियुक्ति का मामला
एक और विवाद तब शुरू हुआ जब अतिरिक्त मुख्य सचिव रैंक के आईएएस अधिकारी संजय सेठी को महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (MSRTC) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। शिवसेना शिंदे के कड़े विरोध के बाद आखिरकार उनकी जगह शिवसेना के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक को नियुक्त किया गया। फडणवीस ने शिवसेना प्रमुख को खुश करने के लिए हाल ही में कुछ अन्य कदम उठाए हैं, जिनमें यह आदेश भी शामिल है कि सभी फाइलें अजित पवार से शिंदे के माध्यम से उनके पास भेजी जाएं।
सूत्रों ने बताया कि एकनाथ शिंदे ने शाह से अपने शहरी विकास विभाग में ‘हस्तक्षेप’ की भी शिकायत की और कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में उनके पिछले कार्यकाल के दौरान लिए गए कई फैसलों की समीक्षा की जाएगी। एक पर्यवेक्षक ने कहा कि शिंदे खुद को फडणवीस और अजित पवार से कमजोर पाते दिख रहे हैं।
नीति आयोग की नियुक्ति को लेकर भी नाराजगी
पिछले महीने एकनाथ शिंदे को एक और झटका तब लगा जब फडणवीस ने अपने करीबी सहयोगी अजय अशर को नीति आयोग की तर्ज पर राज्य सरकार के थिंक टैंक MITRA (महाराष्ट्र इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन) के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यकाल समाप्त होने के बाद सेवा विस्तार नहीं दिया। शिवसेना नेताओं में सबसे ज्यादा नाराजगी तब पैदा हुई जब मुख्यमंत्री ने अशर की जगह एनसीपी नेता दिलीप वलसे पाटिल को नियुक्त कर दिया।
कैसे पैदा हुई दरार?
नाम न बताने की शर्त पर बीजेपी के एक नेता ने कहा कि शिंदे को जून 2022 में सीएम का पद दिया गया था। तब उनके पास बिना किसी सवाल के फैसले लेने के लिए पूर्ण अधिकार थे। नवंबर 2024 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद, महायुति सहयोगियों की संबंधित संख्या के मद्देनजर, उन्हें उपमुख्यमंत्री के पद पर आना पड़ा। इसलिए वह उसी अधिकार की उम्मीद नहीं कर सकते जो उन्हें पहले प्राप्त था।
बीजेपी नेता ने कहा कि बीजेपी के पास बहुमत का जनादेश है, इसलिए फडणवीस को पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ सुशासन सुनिश्चित करना होगा। वह किसी पार्टी या विधायकों को खुश करने के लिए तदर्थ निर्णय नहीं ले सकते। रायगढ़ और नासिक जिलों के संरक्षण को लेकर विवाद ने भी महायुति के तीनों सहयोगियों के बीच दरार पैदा कर दी है।