आलोक देशपांडे

Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र में चाचा-भतीजे के बीच मचे सियासी घमासान के बीच एक नाम काफी चर्चा में है। वो नाम है सोनिया दुहन का। सोनिया दुहन को एनसीपी का संकट मोचक कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने कई मौकों पर पार्टी को संकट से उबारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जब रविवार को अजित पवार आठ एनसीपी विधायकों को लेकर शिंदे सरकार में शामिल हो गए। उसके बाद सोनिया दुहन का नाम एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया। इसके एक दिन बाद यानी सोमवार को शरद पवार ने एनसीपी छात्र इकाई की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया दुहन को प्रमोट करते हुए नई दिल्ली में राकांपा केंद्रीय कार्यालय का प्रभारी नियुक्त कर दिया।

वहीं सोनिया दुहन ने बुधवार यानी आज मुंबई में राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की। सोनिया ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘आज मुंबई मैंने एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हमारे प्रेरणास्रोत आदरणीय शरद पवार साहब से मुलाकात की। मुझे संघर्ष करने की प्रेरणा साहब से मिलती है। हम सब साहब को भरोसा दिलाते हैं कि हर संघर्ष में उनके साथ रहेंगे।

दिल्ली में राकांपा केंद्रीय कार्यालय का प्रभारी नियुक्त होने के बाद सोनिया ने एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले का शुक्रिया अदा किया। सोनिया ने कहा कि वह समर्पण और कड़ी मेहनत के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाएंगी। 30 साल की सोनिया ने कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में अपने कॉलेज के दिनों के दौरान राजनीति में प्रवेश किया था। जब वह पायलट प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में शामिल होने के लिए पुणे में थीं, तब उनका राकांपा से परिचय हुआ था। उसके बाद दुहन राजनीति में सक्रिय भूमिका में नजर आईं। साथ ही अपनी कार्यशैली के दम पर आगे बढ़ती गईं। दुहन दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र विंग की प्रमुख भी रहीं। साथ ही उन्होंने संगठन में राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पदभार भी संभाला।

साल 2019 में चर्चा में आई थीं सोनिया दुहन

सोनिया दुहन पहली बार 2019 में तब चर्चा में आईं थी, जब उन्होंने अजित पवार के विद्रोह को विफल कर दिया था। उन्होंने उस वक्त हरियाणा के गुरुग्राम से एनसीपी के चार विधायकों को रेस्क्यू किया था। इसके बाद वो चारों विधायकों को दिल्ली में अजित पवार के घर ले गईं थीं। इन चारों में – डिंडोरी विधायक नरहरि ज़िरवाल, शाहपुर विधायक दौलत दरोदा, अमलनेर विधायक अनिल पाटिल और कलवान विधायक नितिन पवार शामिल थे। यह चारों विधायक अजित पवार के पक्ष में थे, लेकिन तुरंत ही शरद पवार के समर्थन में आ गए थे। इस तरह बीजेपी का अजित पवार गुट के साथ सरकार बनने का सपना टूट गया था।

पिछले साल भी सोनिया दुहन का नाम काफी चर्चा में रहा था। जब उन्होंने गोवा के एक होटल में सेंध लगाने की कोशिश की थी। जहां एकनाथ शिंदे का समर्थन करने वाले विधायक ठहरे हुए थे, क्योंकि इन विधायकों ने उद्धव गुट के खिलाफ बगावत की थी। उस दौरान सोनिया ने होटल में प्रवेश करने के लिए फर्जी पहचान पत्र का इस्तेमाल किया था। जिसके तहत उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। हालांकि, बाद में सोनिया को जमानत पर रिहा कर दिया गया था।

सोनिया दुहन ने खुद को महाराष्ट्र के अन्य नेताओं से दूरी बनाकर रखी है। वो छात्र और युवा शाखाओं की राज्य इकाइयों के कामकाज में भी किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करती हैं। कहा जाता है कि वो राकांपा प्रमुख शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले के करीब हैं, जो महाराष्ट्र के बारामती से सांसद हैं।