इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के मुकाबलों के दौरान फैलने वाले ध्वनि प्रदूषण को लेकर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) पर जुर्माना लगाने वाली जनहित याचिका सोमवार (15 जुलाई, 2019) को बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट में जज ने कहा कि क्रिकेट मैच में मस्ती तो होगी ही।
चीफ जस्टिस प्रदीप नंदराजोग और जस्टिस एनएम जमदार ने कहा कि क्रिकेट मैचों के दौरान जब खिलाड़ी छक्का-चौका जड़ेगा या विकेट लेगा, तब लोग तो चियर करेंगे और चिल्लाएंगे ही। बकौल चीफ जस्टिस नंदराजोग, “समाज को थोड़ी मौज-मस्ती भी करने दीजिए…थोड़ा बहुत तो शोर होना ही चाहिए। लोगों को आनंद लेने दीजिए।”
बेंच ने इस बात पर भी गौर किया कि याचिकाकर्ता दहिसार का निवासी है, जो कि दक्षिणी मुंबई स्थित वानखेडे स्टेडियम से तकरीबन 40 किमी दूर है। याचिका खारिज करने पर कोर्ट ने कहा- आखिर इतनी दूर होने वाले शोर-शराबे से याचिकाकर्ता कैसे प्रभावित हो सकता है? मैदान के आस-पास रहने वालों में तो किसी ने इस बाबत कभी शिकायत नहीं की।
दरअसल, वकील कपिल सोनी ने आईपीएल मैचों से होने वाले शोर-शराबे पर शिकायत की थी। उन्होंने साल 2014 में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि 2013 में इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के मैचों के दौरान मुंबई के वानखेडे और पुणे के सुब्रत रॉय सहारा स्टेडियम में ध्वनि प्रदूषण के मानकों और नियमों का उल्लंघन हुआ था।
ऐसे में उन्होंने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और महाराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के साथ इन पर भारी जुर्माना लगाने की मांग की थी। जनहित याचिका के मुताबिक, 2013 में मुंबई व पुणे में रात आठ बजे मैच शुरू होते थे, जो कि आधी रात तक चलते थे। मुकाबले के आयोजन में पुरस्कार वितरण समारोह भी शामिल रहता था।
सोनी ने याचिका में दावा किया था कि रात 10 बजे तक तय समयसीमा के बाद भी मैचों के दौरान गाने बजाने के लिए लाउडस्पीकर्स इस्तेमाल होते थे, जिससे कि ध्वनि प्रदूषण (नियम और नियंत्रण) अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन होता है।