Maharashtra Government Formation Row: महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Governor BS Koshyari) को सभी समीकरणों पर विचार करने और सरकार गठन के दावे के लिए सभी दलों को एक-एक कर बुलाने जैसे विशेषाधिकार प्राप्त हैं। उनके समक्ष सभी विकल्प खुले हैं। उन्होंने कहा कि दलों को उचित समय देने के बाद राज्यपाल यदि इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि उनमें से कोई भी सक्षम और स्थायी सरकार बनाने में समर्थ नहीं होगा तो राष्ट्रपति शासन (President Rule) अंतिम विकल्प है।

‘कोई विशिष्ट कानूनी प्रक्रिया नहीं’: इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश रह चुके कांग्रेस नेता अभय थिप्से ने कहा कि राज्यपाल का उद्देश्य यह देखना होगा कि सरकार ‘सक्षम और स्थायी’ हो। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थितियों में राज्यपाल को क्या प्रक्रिया अपनानी चाहिए, इस बारे में संविधान में कोई विशिष्ट कानून नहीं है। उन्होंने कहा, ‘आमतौर पर राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी के नेता को सरकार गठन के लिए बुलाते हैं। यदि वह दल सरकार बनाने में असमर्थता जताए तो राज्यपाल दूसरी सबसे बड़ी पार्टी को बुला सकते हैं।’

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शिवसेना फेल हुई तो यह विकल्पः थिप्से ने कहा कि राज्यपाल सरकार गठन के लिए ‘एक पार्टी’ के रूप में उन दलों के नेताओं को बुलाने के लिए स्वतंत्र हैं जिन्होंने चुनाव पूर्व गठबंधन किया हो। उन्होंने कहा, ‘यदि शिवसेना भी बहुमत साबित करने में विफल रहती है तो राज्यपाल अगली पार्टी (एनसीपी-कांग्रेस) को सरकार गठन का दावा करने के लिए बुला सकते हैं। वह भाजपा और शिवसेना को गठबंधन के रूप में सरकार गठन के लिए भी फिर से बुला सकते हैं।’

मराठा आरक्षण (Maratha Reservation) मुद्दे सहित महाराष्ट्र सरकार की ओर से कई महत्वपूर्ण मामलों में पैरवी कर चुके सीनियर एडवोकेट वीए थोराट ने कहा कि राज्यपाल द्वारा सरकार गठन के दावे के लिए दलों को आमंत्रित करने का काम अभी कुछ समय तक चलता रहेगा। थोराट ने कहा, ‘यह प्रक्रिया कुछ समय तक चलती रहेगी। अब जब बीजेपी ने सरकार गठन के दावे से इनकार कर दिया है तो राज्यपाल ने शिवसेना से सरकार गठन का दावा करने के लिए कहा है। यदि शिवसेना भी इसमें विफल हो जाती है तो बाकी दलों को राज्यपाल आमंत्रित करेंगे।’