महाराष्ट्र में Shivsena, NCP और Congress के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी सरकार बनने के हफ्ते भर में ही उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना में बड़े स्तर पर बगावत हो गई है। 400 के आस-पास शिवसैनिक अपनी पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए हैं।
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, मुंबई के धारावी में चार दिसंबर, 2019 को आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इन सभी शिवसैनिकों को बीजेपी की सदस्यता दिलाई गई। यह घटनाक्रम दो चश्मों से देखा जा रहा है। पहला- विचारधारा के टकराव को लेकर और दूसरा- शिवसेना में भितरघात से जुड़ा।
हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि ये सभी शिवसैनिक पार्टी चीफ (उद्धव) के NCP और INC के साथ गठबंधन में जाने के फैसले से खफा चल रहे थे। कुछ रिपोर्ट्स में इन शिवसैनिकों के हवाले से दावा किया गया, “शिवसेना ने भ्रष्ट और हिंदू विरोधी दलों के साथ मिला लिया है।”
इन्हीं 400 शिवसैनिकों में एक रमेश नदेशन भी हैं। वह 10 साल से शिवसेना से जुड़े थे, पर अब वह भाजपा में आ गए। उन्होंने एक चैनल को बताया, “शिवसेना ने जब महाराष्ट्र में गठबंधन के साथ सरकार चलाने का फैसला ले लिया, पर हम इससे सहमत नहीं हैं। हम शिवसेना के साथ इतने साल से सिर्फ हिंदुत्व की वजह से जुड़े थे।”
बता दें कि महाराष्ट्र में इस बार BJP और शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था, पर मुख्यमंत्री पद पर फंसे पेंच को लेकर दोनों पार्टियां आमने-सामने आ गई थीं। आलम यह था कि दोनों के टकराव के चलते सूबे में राष्ट्रपति शासन तक लागू किया गया।
हालांकि, बाद में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ, जिसमें एनसीपी के अजित पवार बागी हो बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस के साथ आए और इन दोनों को क्रमशः डिप्टी सीएम और मुख्यमंत्री पद की शपथ राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने दिलाई।
वैसे, चहुंओर आलोचना और निजी कारणों से अजित ने आगे पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद संख्या बल के अभाव में फडणवीस को भी सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी। इसी घटनाक्रम के बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर महाविकास अघाड़ी गठबंधन गढ़ा और मिलकर सरकार बनाई, जिसमें सीएम उद्धव ठाकरे हैं।